
कार्तिक माह की कृष्ण अष्ठमी या कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के आठवें दिन को अहोई का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार हमेसा दीवाली से आठ दिन पहले ही मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार आज यानि 31 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन माताएं अपनी संतानों के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत खासकर के पुत्रों की लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है। आज हम आपको इस व्रत से जुड़ा कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
इस व्रत के साथ मान्यता जुड़ी हुई है कि जिस महिला को संतान की प्राप्ति में बांधा आ रही है तो उसे यह व्रत जरूर रखना चाहिए। इस व्रत को रखने से भागवान महिला की संतान प्राप्ति की मनोकामना को जरूर पूरी करता है। इस व्रत को उत्तर भारत के लोग खासतौर पर मनाते हैं। इस दिन माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। जो मां इस व्रत को पूरी भक्ति और आस्था के साथ रखती है इसके बच्चे को दीर्घायु प्राप्त होती है।
अहोई अष्टमी की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 31 अक्टूोबर 2018 को सुबह 11 बजकर 09 मिनट से।
अष्टमी तिथि समाप्त: 01 नवंबर 2018 को सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक।
पूजा का शुभ समय: 31 अक्टूवबर 2018 को शाम 05 बजकर 45 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक।
कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट।
तारों को देखने का समय: 31 अक्टू बर को शाम 06 बजकर 12 मिनट।
चंद्रोदय का समय: 1 नवंबर 2018 को रात 12 बजकर 06 मिनट।
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पूजा की विधि
इस व्रत को रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और पूजा पाठ करके संतान की लंबी उम्र और उसके सुखी जीवन की कामना करने के लिए अहोई माता का व्रत रखें लेकिन ध्यान दें यह व्रत पूरी निष्ठा और ध्यान से करें।
सुबह स्नान के बाद अहोई माता की मूर्ति स्थापित करें या उसका गेरू की दीवार पर चित्र बनाएं। उस चित्र में उनके साथ उनके सात पुत्रों का भी चित्र बनाएं। और शाम को माता की पूजा करें।
अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है, जिसे सेह या स्याहु कहते हैं। इस सेह की पूजा रोली, चावल, दूध व भात से की जाती है।
पूजा चाहे आप जिस विधि से करें, लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुनें। पूजा के बाद सास के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद ही अन्न जल ग्रहण करें।