रात में नींद के बाद अगर दिन में आती है गहरी नींद तो हो सकता है ‘नार्कोलेप्सी’ जानें लक्षण और बचाव
अच्छी नींद लेना हर किसी की जिन्दगी के लिए फायदेमंद होता है। जैसे कि खान-पान हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है वैसे ही उचित नींद लेना भी हमारी सेहत के लिए काफी लाभदायक है। लेकिन जब यही नींद आप वक्त वेक्त लेने लगते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। ज्यादातर दिन में सोने की समस्या को नार्कोलेप्सी कहा जाता है। आज हम आपको इसी समस्या के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या है नार्कोलेप्सी
नार्कोलेप्सी एक तरह की स्लीप डिसआर्डर है जिसमें मरीज कभी भी अचानक से सो जाता है। इस बीमारी के कारण मरीज जितना भी से लें पूरा दिन थका हुआ और आंखों में नींद लिए बैठा रहता है। इस रोग से ग्रसित लोग कितना भी सो लें लेकिन दिन भर थके हुए ही रहते हैं। यह बीमारी महिला या पुरुष किसी को भी हो सकती है।
लक्षण
- नार्कोलेप्सी के मरीज को पूरे दिन नींद आती रहती है।
- 8-9 घंटे नींद लेने के बाद भी मरीज को नींद अधूरी लगती है।
- ज्यादा नींद के साथ-साथ मरीज को आलस और थकान की समस्या होती है।
- मरीज कहीं भी और कभी भी सो जाता है जैसे- हंसते हुए, रोते हुए, बैठे हुए या खाते हुए।
- आमतौर पर नार्कोलेप्सी के मरीज सुबह बहुत देर से उठते हैं।
- नार्कोलेप्सी के मरीज को कई बार स्लीप पैरालिसिस की समस्या भी हो सकती है।
इलाज
सोने और जागने का समय करें तय
नार्कोलेप्सी से ग्रसित लोगों के लिए सोना का समय बनाना पड़ेगा। रोज के सोने का समय और रात में सोने का समय आपको खुद ही तय करना पड़ेगा। सोने से पहले टीवी ना देखें क्योंकि ऐसा करने से नींद में रुकावट आ सकती है।
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दिन में कई बार नींद की झपकियां लें
पूरे दिन के दौरान बराबर अंतराल पर नींद की छोटी छोटी झपकियां लें। ये झपकी 15-20 मिनट की हो सकती हैं। झपकी लेने से आपको ताज़गी महसूस होती और अगले तीन चार घंटे के लिए आपको नींद नहीं आएगी। कुछ लोगों को यदि अधिक जरूरत हो तो झपकी का समय बढ़ाया भी जा सकता है।
डॉक्टर से लें सलाह
इस बीमारी का इलाज संभव है। यह बीमारी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर इस समस्या के इलाज के लिए मोडाफाइनिल दवा का इस्तेमाल देने की सलाह देते हैं।