एक ऐसा स्कूल जहां अभी तक नहीं खुला ताला, पेड़ के नीचे हो रही बच्चों की पढ़ाई

रिपोर्ट- विवेक दुबे

इटावा। जुलाई शुरु होते ही सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई प्रारम्भ हो जाती है। एक जुलाई से बच्चे तैयार हो कर गर्मियों की छुटटी खत्म होने के बाद बच्चे स्कूल जाने लगते हैं। लेकिन इटावा में एक सरकारी प्राथमिक स्कूल ऐसा है। जोकि जुलाई में शुरु ही नहीं हुआ। जहां अभी भी ताला लटका हुआ है।

प्राथमिक विद्यालय

जुलाई सत्र के पहले दिन से ही विकास खंड का एक परिषदीय विद्यालय रास्ते के अभाव में बंद पड़ा है। इस बात से उच्चाधिकारी अनभिज्ञ बने हुए हैं।

विद्यालय में पंजीकृत छात्र पढ़ाई के लिए और दाखिले के लिये परेशान हैं। प्रदेश के तकरीबन सभी विद्यालय जुलाई माह के नये सत्र शुरू होते ही खुल गये हैं। शिक्षण कार्य भी शुरू कर दिया गया है। वहीं समीपवर्ती जिला औरैया में तो स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बच्चों को ड्रेस बुकें वितरित कर दी गई हैं।

आश्चर्य की बात तो यह है कि विकास खंड चकरनगर की ग्राम पंचायत खिरीटी के मजरा ककरैया के प्राथमिक विद्यालय में आज भी ताला लटक रहा है। और विद्यालय में पंजीकृत छात्र छात्र शिक्षा और दाखिले के लिये भटक रहे हैं। उपरोक्त मामले का खुलासा उस समय हुआ। जब ग्राम एक ग्रामीण द्वारा विद्यालय का रास्ता अवरुद्ध करने की एसडीएम चकरनगर से शिकायत पंजीकृत करायी।

उक्त विद्यालय के लिये कोई आम रास्ता नहीं था। बल्कि विद्यालय निर्माण से ही बच्चे खेतों की मेड़ से होकर ही विद्यालय पहुंचते थे। एसडीएम ने बताया कि उक्त मामले की सूचना नहीं है। यदि ऐसा है, तो बच्चों को विद्यालय तक पहुंचाने का विकल्प निकाला जाएगा। जरूरत पड़ी तो उच्चधिकारियों से चर्चा भी की जाएगी।

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जब इससे सम्बन्धित स्कूल के अध्यापक से बात की। तो बताया कि पहले रास्ता किसी की प्राइवेट जगह की थी। जहां पर अब घर बन गया है, जिससे स्कूल जाने का रास्ता बन्द हो चुका है। बच्चों को विद्यालय से बाहर गांव की पगडण्डी पर बने बांस के पेड़ के नीचे पढते हैं। पहले दिन से ही स्कूल जाने का रास्ता अवरुद्ध हो गया था।

बच्चों को प्रतिदिन पेड़ के नीचे ही पढ़ना पड़ता है। जैसे ही बरसात होती है, तो बच्चों को घर के लिये भेज देते हैं। बच्चे भी गांव के खेतों से होकर गुजरते हैं। इस सम्बन्ध में अधिकारियों से अवगत पहली जुलाई को ही करवा दिया था। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

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गांव वालों का भी कहना था कि बच्चों के एडमिशन भी नही हो पा रहा है। और विद्यालय में एक ही शिक्षामित्र अध्यापक है। जोकि अपनी मोटर साइकिल भी गांव के बाहर पेड़ के नीचे खड़ी करते हैं। और बच्चों को वहीं पढ़ाते भी हैं।

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