
महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शाहपुर स्थित आरएस दमानी स्कूल में 8 जुलाई 2025 को एक अत्यंत शर्मनाक घटना सामने आई, जहां शौचालय में खून के धब्बे मिलने के बाद कक्षा 5 से 10 की छात्राओं को मासिक धर्म की जांच के लिए कपड़े उतारने और शारीरिक जांच के लिए मजबूर किया गया। इस घटना ने अभिभावकों में भारी आक्रोश पैदा किया, जिसके बाद पुलिस ने स्कूल की प्रिंसिपल और एक महिला प्यून को गिरफ्तार कर लिया।

मंगलवार को स्कूल के शौचालय में खून के धब्बे मिलने के बाद प्रिंसिपल ने कक्षा 5 से 10 की छात्राओं को स्कूल के सभागार में बुलाया। वहां प्रोजेक्टर के जरिए हाउसकीपिंग स्टाफ द्वारा ली गई खून के धब्बों की तस्वीरें दिखाई गईं और छात्राओं से पूछा गया कि क्या वे मासिक धर्म से गुजर रही हैं। इसके बाद, छात्राओं को दो समूहों में बांटा गया: मासिक धर्म वाली और गैर-मासिक धर्म वाली।
एक महिला प्यून को उन छात्राओं की जांच करने का आदेश दिया गया, जिन्होंने कहा कि वे मासिक धर्म में नहीं हैं। 10 से 12 साल की लगभग 10 छात्राओं की अंडरगारमेंट्स की जांच की गई। इस दौरान एक छात्रा, जो सैनिटरी नैपकिन का उपयोग कर रही थी, लेकिन गैर-मासिक धर्म समूह में थी, को प्रिंसिपल ने अन्य छात्राओं और स्टाफ के सामने डांटकर अपमानित किया।
अभिभावकों का विरोध और पुलिस कार्रवाई
9 जुलाई को छात्राओं ने घर पहुंचकर अपने माता-पिता को इस घटना के बारे में बताया, जिसके बाद गुस्साए अभिभावकों ने स्कूल परिसर में प्रदर्शन किया और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। एक अभिभावक ने कहा, “मासिक धर्म जैसे प्राकृतिक प्रक्रिया के बारे में जागरूकता फैलाने के बजाय, प्रिंसिपल ने छात्राओं पर मानसिक दबाव डाला। यह शर्मनाक और घृणित कृत्य है।”
पुलिस ने अभिभावकों की शिकायत के आधार पर स्कूल की प्रिंसिपल, एक महिला प्यून, चार शिक्षकों, और दो ट्रस्टियों—कुल आठ लोगों—के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 74 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से हमला), धारा 76 (कपड़े उतारने के इरादे से हमला), और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (POCSO) एक्ट की धारा 11 (यौन उत्पीड़न), 12 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा), और 21 (रिपोर्ट न करने की सजा) के तहत मामला दर्ज किया।
ठाणे ग्रामीण के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल झाल्टे ने बताया कि प्रिंसिपल और प्यून को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अन्य चार की भूमिका की जांच जारी है। प्रिंसिपल को स्कूल से निलंबित कर दिया गया है।
प्रभाव और प्रतिक्रिया
इस घटना ने छात्राओं पर गहरा मानसिक आघात पहुंचाया है। अभिभावकों ने स्कूल के इस अमानवीय कृत्य को “लज्जाजनक” बताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने कहा कि वे इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी कार्रवाई का कारण क्या था।