इस राज्य के लिंगानुपात ने समाज को दिखाया आईना, साकार हो रहा मोदी का सपना
देहरादून। जहां एक ओर बेटी को जन्म से पहले ही कोख में मार दिया जाता है। वहीं एक ऐसा भी जिला है जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के उड़ान को नया पंख देने का काम किया है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के बागेश्वर जिले जहां लिंगानुपात में पूरे देश को एक बड़ा संदेश दिया है। साल 2017-18 में आशा द्वारा किए सर्वे में बागेश्वर जिले में एक हजार लड़कों पर 1035 लड़कियां है। ऐसे में लिंगानुपात में बागेश्वर जिला पूरे प्रदेश में सबसे अव्वल है। आशा ने यह सर्वे 6 साल तक के बच्चों के बीच किया है। यह अन्य पूर्व के सर्वे से कहीं ज्यादा है।
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बागेश्वर जनपद के पहले के वर्षों की बात करें, तो भारत सरकार द्वारा किये गए सर्वे के आधार पर साल 2012 -13 में लिंगानुपात 879, साल 2013 -14 में लिंगानुपात 891, 2014 -15 में लिंगानुपात 933, 2015 -16 में लिंगानुपात 897 और 2016 -17 में 917 बाल लिंगानुपात रहा है।
बागेश्वर जिले के सीएमओ डॉ. शैलेजा भट्ट ने बताया कि समाज के हर क्षेत्र में लड़कियों से खुद को साबित किया है जिससे लोगों में मोटिवेसन है। उन्होंने बताया कि ये सौभाग्य की बात है कि जिले में एक भी प्राइवेट अल्ट्रासाउंड मशीनें नहीं है। जिससे लिंगानुपात में ये स्थिति देखने को मिल रही है।
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उन्होंने कहा कि वर्तमान में आशाओं द्वारा किये गए सर्वे के बाद बागेश्वर का लिंगानुपात 1035 रिकॉर्ड किया गया है। डॉ. शैलेजा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ योजना से लोगों में काफी जागरुकता फैली है।
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