अयोध्या विवाद पर जल्द ही आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दस्तावेज का अनुवाद हुआ पूरा

अयोध्या विवादनई दिल्ली। अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद पिछले सात वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़ा है। लेकिन अब सारी अड़चनों से निजात पा लिया गया है। सुनवाई के लिए हिंदी, उर्दू, संस्कृत, फारसी, पाली सहित सात भाषाओं के अदालती दस्तावेज का अंग्रेजी में अनुवाद का काम पूरा हो गया है। ऐसी स्तिथि में अब सुप्रीम कोर्ट में पांच दिसंबर से इस मामले में सुनवाई शुरू होने की संभावना प्रबल हो गई है।

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गौरतलब है कि 11 अगस्त को पिछली सुनवाई पर शीर्ष अदालत ने मामले से संबंधित दस्तावेजों को अंग्रेजी में अनुवाद करने का निर्देश देते हुए सुनवाई पांच दिसंबर तक के लिए टाल दी थी।

वहीँ हिन्दू महासभा के वकील विष्णु जैन ने कहा कि इस मामले से संबंधित करीब 10 हजार पन्नों के दस्तावेज का अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष पांच दिसंबर से इस मामले की सुनवाई होगी।

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साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को मौखिक साक्ष्यों को अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए 10 हफ्ते का वक्त दिया गया था। जिसमें पीठ ने कहा था कि इसे लेकर आगे सुनवाई स्थगित करने का प्रयास नहीं होना चाहिए।

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि भूमि विवाद का मामला सुलझने के बाद पूजा-अर्चना का अधिकार आदि मसले पर बाद में सुनवाई होगी।

पीठ ने बताया मुद्दे को गंभीर

पीठ ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा था कि पहले हम यह तय करेंगे कि विवादित भूमि पर किसका अधिकार है?

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मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का फरमान सुनाया था।

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