देश के पहले ओलंपिक तैराक और ‘गुमनाम हीरो’ शमशेर खान का निधन

विजयवाड़ा। देश के पहले ओलंपिक तैराक शमशेर खान का रविवार को आंध्र प्रदेश के गुंटूर में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 87 साल के थे और उनके परिवार में तीन बेटियां और दो बेटे हैं।

शमशेर खान

उन्होंने 1956 में मेलबर्न ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। परिवार के मुताबिक, कुछ समय से बीमार चल रहे खान ने रविवार को छाती में दर्द की शिकायत की थी लेकिन अस्पताल ले जाए जाने से पहले ही उनकी मौत हो गई। एक भुला दिए गए हीरो शमशेर खान मेलबर्न ओलंपिक में दो सौ मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में मामूली अंतर से पदक से चूक गए थे और चौथे स्थान पर रहे थे।

राष्ट्रीय स्तर पर बटरफ्लाई में रिकॉर्ड बनाने वाले खान ने सेना में नौकरी के दौरान तैराकी सीखी थी। उन्होंने 1962 में चीन और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भाग लिया था। सेना में 24 साल नौकरी करने के बाद वह 1973 में रिटायर हो गए थे।

शमशेर खान

उनका अंतिम समय गरीबी में गुजरा। 2010 में स्ट्रोक का सामना करने वाले खान के पास बाद में दवाइयों के लिए भी रुपये नहीं होते थे। उन्होंने कई मौकों पर सरकार से मदद न मिलने की शिकायत भी की थी।

खान ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मुझे सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं है। लेकिन देश के लिए इतना करने के बाद, कोई भी मुझे पहचान भी नहीं पा रहा है। हैरानी की बात यह है कि मेरे पास अभी तक राशन कार्ड नहीं है। जबकि कृष्णा जिले के उनके साथ अलंपियंस साथी और पहलवान कमिनेनी ईश्वर राव को सरकार ने अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया था।’

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