
पायरिया दाँतों की एक गंभीर बीमारी होती है. जो दाँतों के आसपास की मांसपेशियों को संक्रमित करके उन्हें हानि पहुँचाती है। यह बीमारी स्वास्थ्य से जुड़े अनेक कारणों से होती है, और सिर्फ दांतों से जुड़ी समस्याओं तक सीमित नहीं होतीं। यह बीमारी दाँतों और मसूड़ों पर निर्मित हो रहे जीवाणुओं के कारण होती है।
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पायरिया के लक्षण और कारण:
नियमित आहार और दाँतों की रक्षा में रुक्षांस की कमी या पूर्ण रूप से अभाव, दाँतों में खान पान के कण अटकना और दाँतों का सड़ना, दाँतों पर अत्यधिक मैल जमना, मुँह से दुर्गन्ध का निकलना, जीवाणुओं का पसरण, मसूड़ों में जलन का एहसास होना और छालों का निर्माण होना, जरा सा छूने पर भी मसूड़ों से रक्तस्राव होना इत्यादि पायरिया के लक्षण होते हैं।
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पायरिया के आयुर्वेदिक उपचार:
- नीम के पत्तों की राख में कोयले का चूरा और कपूर मिलाकर रोज़ रात को लगाकर सोने से पायरिया में लाभ होता है।
- सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दांतों पर लगाने से दांतों से निकलती हुई दुर्गन्ध और रक्त बंद होकर दांत मज़बूत होते हैं और पायरिया जड़मूल से निकल जाता है। साथ में त्रिफला गुग्गल की 1 से 3 दिन में तीन बार लें और रात में 1 से 3 ग्राम त्रिफला का सेवन करें।
- अपने दाँत नीम के दातुन से ब्रश करें।
- दशना संस्कार चूर्ण पायरिया के उपचार के लिए एक बहुत ही प्रचलित औषधि है। यह पाउडर मसूड़ों से रक्तस्राव और पस के निर्माण पर नियंत्रण रखता है, और मुँह से दुर्गन्ध हटाने में भी सहायता करता है।
- कच्चे अमरुद पर थोडा सा नमक लगाकर खाने से भी पायरिया के उपचार में सहायता मिलती है, क्योंकि यह विटामिन सी का उम्दा स्रोत होता है जो दाँतों के लिए लाभकारी सिद्ध होता है।
- घी में कपूर मिलाकर दाँतों पर मलने से भी पायरिया मिटाने में सहायता मिलती है।
- काली मिर्च के चूरे में थोडा सा नमक मिलाकर दाँतों पर मलने से भी पायरिया के रोग से छुटकारा पाने के लिए काफी मदद मिलती है।
- 200 मिलीलीटर अरंडी का तेल, 5 ग्राम कपूर, और 100 मिलीलीटर शहद को अच्छी तरह मिला दें, और इस मिश्रण को एक कटोरी में रखकर उसमे नीम के दातुन को डुबोकर दाँतों पर मलें और ऐसा कई दिनों तक करें। यह भी पायरिया को दूर करने के लिए एक उत्तम उपचार माना जाता है।