
लखनऊ में 69 हजार शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। नाराज अभ्यर्थियों ने “केशव चाचा न्याय करो” और “न्याय दो, नियुक्ति दो” जैसे नारे लगाते हुए धरना दिया।

भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे। यह प्रदर्शन इलाहाबाद हाईकोर्ट के 16 अगस्त 2024 के उस आदेश के पालन में देरी और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने के विरोध में था, जिसमें 69 हजार शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर नई सूची जारी करने का निर्देश दिया गया था।
प्रदर्शन का कारण और अभ्यर्थियों की मांग
अभ्यर्थियों का आरोप है कि 2019 में शुरू हुई 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का उल्लंघन हुआ। उनके दावे के अनुसार:
- ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण के बजाय केवल 3.86% (18,598 सीटों में से मात्र 2,637) सीटें मिलीं।
- एससी वर्ग को 21% के बजाय केवल 16.6% आरक्षण मिला।
- कुल मिलाकर, लगभग 19,000 सीटों पर अनियमितता का आरोप है, जिससे आरक्षित वर्ग के हजारों अभ्यर्थी नौकरी से वंचित रह गए।
अभ्यर्थियों ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 16 अगस्त 2024 को मेरिट लिस्ट रद्द कर तीन महीने में नई चयन सूची जारी करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सुप्रीम कोर्ट में भी मामले की सुनवाई में देरी और सरकार के ढुलमुल रवैये से अभ्यर्थी नाराज हैं। वे मांग कर रहे हैं कि:
- हाईकोर्ट के आदेश का तुरंत पालन हो।
- नई मेरिट लिस्ट पारदर्शी तरीके से जारी की जाए।
- पुराने अधिकारियों को हटाकर नई नियुक्ति प्रक्रिया के लिए जवाबदेह अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाए।
प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई
मंगलवार को सैकड़ों अभ्यर्थी, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के लखनऊ स्थित आवास पर जमा हुए। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और कई अभ्यर्थियों को हिरासत में लेकर इको गार्डन भेजा। 2 सितंबर 2024 को हुए एक अन्य प्रदर्शन में भी पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, जिसमें एक अभ्यर्थी, मोहम्मद इरशाद, को हल्का दिल का दौरा पड़ा था।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस मुद्दे ने उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार के भीतर मतभेद को उजागर किया है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे “सामाजिक न्याय की दिशा में कदम” बताया और अभ्यर्थियों के पक्ष में खुलकर समर्थन जताया। उन्होंने पिछले साल 26 नवंबर 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आरक्षण की विसंगतियों की ओर ध्यान दिलाया था। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री योगी ने जुलाई 2024 में प्रदर्शनकारियों को समाजवादी पार्टी (एसपी) का “मोहरा” करार दिया था।
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा और मौर्य पर “दोहरी बात” करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मौर्य पहले सरकार के साथ आरक्षण के अधिकारों को छीनने में शामिल थे और अब अभ्यर्थियों के प्रति सहानुभूति दिखाकर अपनी राजनीतिक छवि चमकाने की कोशिश कर रहे हैं।
कानूनी स्थिति
69 हजार शिक्षक भर्ती की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी, जिसमें अनारक्षित वर्ग की कट-ऑफ 67.11% और ओबीसी की 66.73% थी। भर्ती के तहत लगभग 68,000 अभ्यर्थियों को नौकरी मिली, लेकिन आरक्षण नियमों की अनदेखी का मुद्दा उछला। बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन न होने के कारण यह विवाद कोर्ट तक पहुँचा। हाईकोर्ट ने 16 अगस्त 2024 को चयन सूची रद्द कर दी और नई सूची बनाने का आदेश दिया। इसके खिलाफ चयनित अभ्यर्थी रवि सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सुनवाई में देरी से अभ्यर्थी नाराज हैं।