हुआ खुलासा , साल 2014 में लोकसभा चुनाव में जमानत जब्त होने से आयोग को मिले इतने करोड़ रुपए

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के लिए शंखनाद हो चुका हैं। जहां ऐसे में यदि कोई चुनाव लड़ना चाहता है तो उसके लिए चुनाव आयोग ने कुछ आवश्यक मानदंड बनाए हैं। जिन्हें पूरा करने के बाद ही आप चुनावी दंगल में उतर सकते हैं। देखा जाये तो यह नियम हैं- प्रत्याशी की उम्र कम-से-कम 25 साल होनी चाहिए और उसका एक पंजीकृत मतदाता होना जरूरी हैं।

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बता दें की इसके अलावा उसे एक निश्चित जमानत राशि जमा करवानी होती है। केवल वह प्रत्याशी जिसे चुनाव में कुल मतों का छठवां हिस्सा प्राप्त होता है उसे जमानत राशि वापस मिल जाती है। इसके अलावा बाकी के प्रत्याशी न केवल चुनाव हारते हैं बल्कि उनकी जमानत राशि भी चली जाती हैं।

 

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चुनाव आयोग ने जमानत राशि इसलिए रखी है ताकि कम से कम लोग चुनाव में उतरें और इसे गंभीरता से लिया जाए। सामान्य वर्ग की तुलना में अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए जमानत राशि आधी होती है। यदि किसी उम्मीदवार को कुल वोटों का छठा हिस्सा या 16.67 फासदी मत नहीं मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है।

1952 में तीन-चौथाई से अधिक उम्मीदवारों ने अपनी जमानत राशि गवां दी थी। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को 7,005 उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त करके 14.5 करोड़ रुपये मिले थे। पिछले लोकसभा चुनाव में 3,218 स्वतंत्र उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हुई थी जिससे आयोग को 6.7 करोड़ रुपये मिले थे।

दरअसल 99.5 प्रतिशत निर्दलीय उम्मीदवारों को कुल वोट का छठा हिस्सा भी नहीं मिला। 2014 में अनुसूचित जाति के सबसे ज्यादा 90.5 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हुई थी। वहीं अनुसूचित जनजाति और सामान्य श्रेणी में यह 83.5 और 80.5 फीसदी उम्मीदवारों की राशि जब्त हुई।

क्या होती है जमानत राशि –

वहीं चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को खड़ा होने के लिए नामांकन दाखिल करते समय एक निश्चित राशि को चुनाव आयोग के पास जमा करवाना पड़ता है। इसी राशि को जमानत राशि कहा जाता है। प्रत्याशियों की जब्त राशि चुनाव आयोग के खाते में जमा करवा दी जाती हैं।

बसपा की जब्त हुई सबसे ज्यादा जमानत राशि –

यदि पार्टियों के आधार पर बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हुई थी। बसपा के 89.1 प्रतिशत, कांग्रेस के 38.4 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस के 67.2 प्रतिशत, भाजपा के 14.5 प्रतिशत, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 53.8 प्रतिशत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 36.1 उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हुई थी।

लोकसभा चुनाव के लिए कितनी है जमानत राशि –

लोकसभा चुनाव लड़ने वाले सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को 25 हजार रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा करवाने पड़ते हैं। वहीं अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों को 12,500 रुपये देने होते हैं। 2009 से पहले यह राशि सामान्य वर्ग के दस हजार और अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पांच हजार हुआ करती थी।

विधानसभा चुनाव के लिए कितनी है जमानत राशि –

विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को दस हजार रुपये जमानत राशि के तौर पर देने होते हैं। वहीं अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों को पांच हजार रुपये जमा करवाने होते हैं। पहले यह राशि सामान्य प्रत्याशी के लिए 250 और अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 125 रुपये हुआ करती थी।

पार्षद चुनाव के लिए कितनी है जमानत राशि –

विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को पांच हजार रुपये और अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों को ढाई हजार रुपए की जमानत राशि जमा करवानी पड़ती है।

किस परिस्थिति में वापस मिलती है राशि –

यदि किसी उम्मीदवार को छठवें हिस्से जितने वोट नहीं मिलते लेकिन वह चुनाव में जीत हासिल कर लेता है तो इस परिस्थिति में भी उसे राशि वापस मिल जाती है।

जीता उम्मीदवार लेकिन जब्त हुई जमानत राशि –

सत्र 1952 में आजमगढ़ की विधानसभा सीट सगड़ी पूर्व में उस समय 83,438 पंजीकृत मतदाता थे। जिसमें से 32,378 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। कांग्रेस ने जहां बलदेव उर्फ सत्यानंद को मैदान में उतारा था।

वहीं उनके खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार शंभूनारायण मैदान में थे। चुनाव में बलदेव और शंभूनारायण को क्रमश: 4969 और 4348 मत मिले थे। बलदेव बेशक चुनाव जीत गए लेकिन उनकी जमानत राशि जब्त हो गई क्योंकि कुल मतों के छठवे हिस्से को पूरा करने में 427 मत कम थे।

 

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