स्विस बैंक में काला धन रखने पर सर्राफ को दो साल की सजा, 8 लाख का जुर्माना

स्विस बैंक में काला धनदेहरादून। स्विस बैंक में काला धन रखने के दोषी देहरादून के नामी ज्वेलर्स को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (आर्थिक अपराध) की अदालत ने दो साल के कारावास और आठ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। दोषी को ऊपरी अदालत में अपील के लिए एक महीने का समय दिया गया है। फिलहाल वह जमानत पर रहेंगे। आयकर विभाग ने दो साल पहले सर्राफ के खिलाफ कर चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक कर चुकाए बगैर स्विस बैंक में धन जमा कराने के मामले में सजा का उत्तराखंड में यह पहला मामला है।

अभियोजन की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एसएम जैन के मुताबिक राजू वर्मा निवासी कर्जन रोड की राजपुर रोड पर पंजाब ज्वेलर्स के नाम से फर्म है। गोपनीय सूचना के आधार पर 14 मार्च, 2012 को आयकर विभाग की विजिलेंस टीम ने उनकी फर्म पर छापा मारा था। इस दौरान उनकी फर्म के स्विस बैंक में खाता खोलने के सुबूत मिले। जांच में पाया गया कि स्विस बैंक में खाता खोलने के लिए सर्राफ ने न तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से अनुमति और न ही इसमें जमा धन का उल्लेख अपनी आयकर विवरणी में किया।

जांच पड़ताल में सामने आया कि सर्राफ ने वर्ष 2006 में स्विस बैंक के खाते में 92 लाख रुपये (185679 डॉलर) जमा किए थे। इस सिलसिले में आयकर विभाग ने सर्राफ के खिलाफ अदालत में मुकदमा दर्ज कराया था। उन पर आयकर अधिनियम की दो धाराओं के तहत कुल 16-16 मुकदमे दर्ज किए गए। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (आर्थिक अपराध) विवेक द्विवेदी की अदालत में इसकी सुनवाई चली।

सोमवार को अदालत ने इस पर अपना सुनाया। दोषी को दो साल की सजा और प्रत्येक मुकदमे में 25-25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इस तरह कुल जुर्माना आठ लाख रुपये ठोंका। सुनवाई के वक्त सर्राफ राजू वर्मा अदालत में मौजूद रहे।

चार्ज फ्रेम होने के बाद से वह जमानत पर हैं। अदालत ने उनकी फिलहाल उनकी जमानत बरकरार रखते हुए अपील के लिए एक महीने का समय दिया है। मामले में अभियोजन की तरफ से आयकर विभाग के छह आला अधिकारियों ने गवाही दी। इनमें प्रमुख आयकर आयुक्त से लेकर निरीक्षक स्तर के अधिकारी शामिल रहे। जबकि, बचाव पक्ष की तरफ से कोई गवाह पेश नहीं किया गया।

देहरादून के नामी सर्राफ राजू वर्मा के स्विस बैंक में खोले गए खाते पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी की है। हालिया दिनों यह फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत की गई है। बिना आरबीआइ (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की अनुमति के खोले गए इस बैंक अकाउंट पर ईडी ने सर्राफ पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया। उनसे इसकी वसूली भी कर ली गई है।

प्रवर्तन निदेशालय के राज्य प्रमुख सहायक निदेशक पीके चौधरी के मुताबिक आयकर विभाग ने वर्ष 2012 में जब सर्राफ राजू वर्मा की फर्म पर छापेमारी की तो यह बात सामने आई कि उन्होंने सरकार से छुपाकर स्विस बैंक में खाता खोल रखा है। नियमानुसार विदेश में बैंक खाता खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति लेना जरूरी है। इसके उल्लंघन पर फेमा एक्ट में का प्रावधान है।

उन्होंने बताया कि आयकर छापे में विदेश में अनाधिकृत रूप से खोले गए बैंक खाते की पुष्टि होने पर ईडी ने इस पर संज्ञान लिया और फेमा एक्ट के तहत शुरू की। विदेश में खोले गए खाते और उसमें जमा कालाधन को लेकर आयकर ने कोर्ट में जो वाद दायर किया था, उसकी प्रति भी के लिए ईडी ने प्राप्त कर ली थी। तमाम जांच पड़ताल के बाद यह साबित हुआ कि सर्राफ ने फेमा एक्ट का उल्लंघन करके स्विस बैंक में खाता खोला और उसका संचालन किया जा रहा है। इसके बाद सर्राफ के खिलाफ जुर्माना वसूली की शुरू की गई। जुर्माना राशि अदा होने के बाद विभाग ने अब इस केस को समाप्त कर दिया है।

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