सारी उम्मीदों पर फिरा पानी, पाकिस्तान ने ठुकराया भारत का ड्रीम प्रोजेक्ट

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने भारत के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसमें नई दिल्ली ने कहा था कि इस्लामाबाद करतारपुर भारत को दे दे और उसके बदले वह दूसरी जमीन ले ले। यह प्रस्ताव करतारपुर को भारत का हिस्सा बनाने के मकसद से दिया गया था।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने गुरुवार को यहां कहा कि जमीन अदला-बदली का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। उनसे पूछा गया था कि क्या उनका देश अदला-बदली सौदे के तहत करतारपुर की जमीन भारत को सुपुर्द करने पर विचार करेगा।

पाकिस्तान ने नवंबर में बगैर वीजा के भारत के सिखों को नरोवाल जिला स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा की तीर्थयात्रा करने के लिए करतारपुर सीमा खोल दिया। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव करतापुर में अपने जीवन के अंतिम 18 साल बिताए थे।

इससे पहले भारत-पाकिस्तान के बीच इन दिनों करतारपुर कॉरिडोर को लेकर प्रयास जारी हैं। जहां एक तरफ भारत में इसकी नींव रखी जा चुकी है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने भी पाकिस्तान के नरोवाल में करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिली रखी। इस दौरान बोलते हुए उन्होंने कहा था कि इस मौके पर उन्हें मदीना जाने जैसी खुशी हो रही है।

वहीं भारत-पाकिस्तान के बीच संवेदनशील संबंधों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच किसी तरह के युद्ध के बारे में सोचना मूर्खता से भरा का काम है। अपनी इस बात पर तर्क रखते हुए इमरान ने कहा कि चूंकि दोनों ही देश न्यूक्लियर पावर से लैस हैं, ऐसे में परमाणु युद्ध की स्थिति में दोनों ही देशों का नष्ट हो जाना तय है।

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हालांकि अगर इमरान के इस बयान को जमीनी हकीकत की सच्चाई पर मांपा जाए तो भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में अगर न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल होता है तो जहां एक तरफ भारत को एक बड़ी क्षति पहुंचने की आशंका है वहीं इस बात की भी पूरी संभावना है कि इस तरह के महासंग्राम में पाकिस्तान दुनिया के नक्शे से पूरी तरह गायब हो जाएगा।

इसके अलावा यदि युद्ध में न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल किए बिना पारंपरिक तरीके से भी युद्ध लड़ा जाता है तब भी भारत की ताकत को देखते हुए भारत का ही पलड़ा भारी रहने की पूरी संभावना है।

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