अगर नपुंसकता के लिए कर रहे है इस तेल का इलाज, तो हो जाए सावधान…
लखनऊ। पुरुष जब यौन संबंध बनाने के लिए ऊर्जा नहीं जुटा पाते है, तो इस प्रकार की समस्या को मर्दाना कमजोरी कहा जाता है। ज्यादातर पुरुषों को अपने जीवन में कभी न कभी इस तरह की समस्या से जूझना पड़ता है। ये समस्या गंभीर हो जाने पर इस प्रकार के पुरुषों को नपुंसक भी कहा जाता है, क्योंकि वे यौन संबंध बनाने के 75 प्रतिशत मौकों पर मर्दाना ताकत खो देते है। ऐसे पुरुष ज्यादातर देसी इलाज की तरफ झुक जाते है। जिनमे प्रथम स्थान सांडे के तेल को दिया जाता है। लेकिन ये तेल कहा से आता है, इसको कैसे निकला जाता है, इन बातों को पूछे बिना ही खरीद्दार इस तेल का जमकर प्रयोग करने लग जाते हैं। आज हम बताते है इस तेल के पीछे छुपी उस असलियत को जिसको जानकर कोई भी इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहेगा।
देसी इलाज के अनुसार सांडे के तेल का इस्तेमाल करने से लिंग का टेढ़ापन, पतलापन, छोटापन दूर हो जाता है। लेकिन यह गलत है इस तेल में पॉली अन्सेच्युरेटेड फैटी एसिड होता है जोकि जोड़ो और मांसपेशियों के दर्द में राहत प्रदान करता है।
साथ ही साथ बता दें कि सांडे का तेल युरोमेस्टिक हार्डवीकी नामक एक छिपकली जैसे सरीसृप से निकला जाता है। इस जीव को देसी भाषा में सांडा कहा जाता है। यह जीव बेहद ही सीधा होता है, जो राजस्थान के शुष्क माहौल वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।
नर सांडा की लम्बाई 2 फुट तक होती है, लेकिन मादा नर से आकर में छोटी होती है।
सांडे के पंजे बड़े ही मजबूत होते है लेकिन ये उनका इस्तेमाल केवल बिल खोदने के लिए ही करते है।
सांडे के सिर्फ तीन दांत होते हैं, एक ऊपर की तरफ और दो नीचे। ये साल में एक बार सहवास करते है और एक बार में 15-20 अंडे देते है , जिनमे आधे बेकार हो जाते है।
सांडा अपने बिल को मिट्टी से ढंककर रखता है पर पकड़ने वाले उसे खोजकर उसके बिल में धुंआ कर देते है, जिससे बेचारा जीव बाहर निकाल आता है। फिर पहला वर इसकी कमर पर होता है जिससे ये भागने के काबिल नहीं रह जाता और फिर पीट-पीटकर इसे मार दिया जता है।
अब आप सोच रहे होंगे तेल कहा से आता है तो बता दें कि तेल इसकी पूंछ के पास एक छोटी सी थैली में होता है। इस थैली की चर्बी को गरमा कर दो तीन बूंद तेल निकाल ही आता है और इतनी सी बात के लिए बेचारे को जान गंवानी पड़ती है।
लेकिन जो चीज़ सबसे दुखद है वो ये कि सांडा विलुप्तप्राय प्रजाति घोषित कर दिया गया है। जो जल्द ही विलुप्त होने वाला है।