
2025 के मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी विमानों और मिसाइलों को धूल चटा दी, जिससे भारत की वायुसेना ने इसे ‘गेम चेंजर’ करार दिया। अब, उभरते हवाई खतरों से निपटने के लिए भारत का अगला लक्ष्य S-500 प्रोमिथियस है—S-400 का बड़ा, मजबूत और स्मार्ट भाई।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 4-5 दिसंबर 2025 को होने वाली दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान S-500 की खरीद पर चर्चा एजेंडे में प्रमुखता से शामिल है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत Su-57 फाइटर जेट्स के साथ-साथ S-500 एयर शील्ड की संभावनाओं पर बातचीत शुरू करने को तैयार है, जो चीन और पाकिस्तान के बढ़ते खतरों—खासकर पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर की आक्रामकता—के बीच रणनीतिक महत्व रखता है। यह सिस्टम हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलों, यहां तक कि लो-ऑर्बिट सैटेलाइट्स को नष्ट करने में माहिर है।
ऑपरेशन सिंदूर, जो अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 नागरिक मारे गए) के जवाब में 7-10 मई को शुरू हुआ, भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के बाद सबसे बड़ा टकराव था। भारतीय वायुसेना ने S-400 का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी जेट्स, ड्रोन्स और मिसाइलों को नष्ट किया—एक रिपोर्ट के मुताबिक, 300 किमी दूर पाकिस्तानी SAAB-2000 AWACS को मार गिराया गया।
IAF चीफ एपी सिंह ने कहा कि S-400 ने 11 बार पाकिस्तानी हमलों को विफल किया, जिसमें 5 फाइटर जेट्स और एक ELINT विमान शामिल थे। इस सफलता ने भारत को अतिरिक्त S-400 स्क्वाड्रन्स की मांग करने को प्रेरित किया, लेकिन अब S-500 की ओर रुख है।
S-500 प्रोमिथियस, रूस की अल्माज-एंटे कंपनी द्वारा विकसित, 21वीं सदी के उन्नत खतरों—हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स, बैलिस्टिक मिसाइल्स और स्पेस-लॉन्च्ड हथियारों—के खिलाफ डिजाइन किया गया है। यह S-400 के साथ मिलकर S-300 को रिप्लेस करेगा, और 2025 में मॉस्को के आसपास तैनाती शुरू हो चुकी है। S-500 की खरीद से भारत को नेशनल-लेवल एयर, बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक डिफेंस मिलेगा, जो थिएटर-लेवल S-400 से कहीं आगे है।
S-500 vs S-400: मुख्य अंतर
S-500 S-400 से कहीं उन्नत है, जो इसे स्पेस-बेस्ड थ्रेट्स से निपटने में सक्षम बनाता है। यहां प्रमुख फर्क:
- रेंज: S-500 की 600 किमी (बैलिस्टिक मिसाइल्स के खिलाफ), जबकि S-400 की 400 किमी। यह 10 सुपरसोनिक ICBM वॉरहेड्स को एक साथ नष्ट कर सकता है।
- ऊंचाई: S-500 200 किमी तक (कर्मन लाइन के किनारे, जहां सैटेलाइट्स घूमते हैं), S-400 सिर्फ 30 किमी। पैसेंजर प्लेन 10-12 किमी ऊंचाई पर उड़ते हैं, लेकिन S-500 स्पेस थ्रेट्स को भी संभालेगा।
- मिसाइल्स: S-500 में दो प्रकार—40N6M (एक्सो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्शन, 100 किमी ऊपर) और 77N6-N/N1 (हिट-टू-किल, सीधे टकराकर नष्ट)। S-400 के मिसाइल्स (40N6, 48N6, 9M96) विस्फोट से नष्ट करते हैं। S-500 मच 20 स्पीड वाले हाइपरसोनिक्स को रोक सकता है।
- रडार: गैलियम नाइट्राइड (GaN) तकनीक पर आधारित, जो लंबी रेंज, तेज ट्रैकिंग और जैमिंग रेसिस्टेंस देता है। S-400 के रडार से बेहतर।
- क्षमता: S-500 100 टारगेट्स ट्रैक/एंगेज कर सकता है (S-400: 80), रिस्पॉन्स टाइम 4 सेकंड (S-400: 10 सेकंड)। एक यूनिट में 12 लॉन्चर, कमांड पोस्ट और 3 हाई-परफॉर्मेंस रडार।
पुतिन की यात्रा में S-500 पर बातचीत प्रारंभिक होगी—तकनीकी जांच, ऑफसेट्स, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सैंक्शन्स से जुड़े मुद्दों पर। भारत के रूस से 60% से अधिक डिफेंस इंपोर्ट्स हैं, लेकिन अमेरिकी दबाव के बावजूद रणनीतिक साझेदारी बरकरार है। S-500 से भारत को पाकिस्तान के हर कोने पर नजर मिलेगी, जो भविष्य की जंगों में फायदेमंद साबित होगा।





