सफाई अभियान में इस BJP नेता ने चलायी JCB, फिर भरना पड़ा 500 का जुर्माना !

सूरत. गुजरात का एक सुंदर सा शहर है. डायमंड सिटी कहलाता है. कपड़ों के लिए भी फेमस है. लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भी है. गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में सूरत लोकसभा सीट भी शामिल है. इस सीट पर साल 1989 से ही बीजेपी का कब्जा है.

इस वक्त सांसद हैं दर्शना जरदोश. एक बार फिर बीजेपी ने इन्हें ही टिकट दिया है. दर्शना का मुकाबला इस बार कांग्रेस के अशोक अधेवदा से हुआ. गुजरात की सभी 26 सीटों पर 23 अप्रैल को तीसरे चरण के तहत वोटिंग हो चुकी है. नतीजे तो 23 मई को ही पता चलेंगे.

बीजेपी कार्यकर्ता थीं. इस वक्त सूरत की सांसद हैं. पहली बार लोकसभा चुनाव 2009 में लड़ा था. जीत गई थीं. दूसरी बार चुनाव 2014 में लड़ा, तब तो भारी वोटों के अंतर से जीतीं. कांग्रेस के नैषध देसाई को 5 लाख 33 हजार वोट से हराया था.

दर्शना यूं तो साल 2009 से ही सूरत की सांसद हैं. लेकिन चर्चा में वो तब आईं, जब उन्होंने सफाई अभियान के दौरान JCB मशीन चलाई. और इस वजह से उनके ऊपर 500 रुपए का जुर्माना भी लगा.

बात पिछले साल के मई के महीने की है. ‘सुजलम सुफलम जल संचय’ प्रोग्राम के तहत तापी नदी के घाटों की सफाई हो रही थी. जेसीबी मशीन से कचरा हटाया जा रहा था. दर्शना भी इस प्रोग्राम में शामिल होने पहुंचीं.

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फिर उन्होंने जेसीबी मशीन चलाने वाले ड्राइवर को उतारा. और खुद बैठ गईं. दर्शना ने खुद मशीन चलाकर कचरा हटाया. तस्वीरें भी फेसबुक पर पोस्ट कीं. उसके बाद एक RTI एक्टिविस्ट ने पुलिस में दर्शना के खिलाफ शिकायत की.

दर्शना के ऊपर मोटर यान अधिनियम, तोड़ने के आरोप लगे. पूछा गया कि क्या उन्हें जेसीबी मशीन चलानी भी आती थी, क्या उनके पास लाइसेंस भी था. कार्रवाई हुई. फिर इस साल के फरवरी महीने में दर्शना के ऊपर बिना लाइसेंस के जेसीबी मशीन चलाने के आरोप में 500 रुपए का जुर्माना लगा.

दर्शना के बारे में एक इंटरेस्टिंग बात. ये कि उन्हें फोटोग्राफी का बहुत शौक है. वो जहां भी जाती हैं, फोटो जरूर खींचती हैं, और खिंचवाती हैं.

 

सूरत लोकसभा सीट का हिसाब-किताब भी जान लीजिए

ये बीजेपी का गढ़ माना जाता है. 1989 से लगातार इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी के काशीराम राणा 1989 के बाद से 6 बार सूरत के सांसद बने. करीब 20 साल तक काशीराम का कब्जा रहा. 10 साल से दर्शना का कब्जा है. एक लाइन में कहें तो 30 साल से बीजेपी का कब्जा है सूरत पर.

अब इस बार देखना ये होगा कि क्या बीजेपी 30 साल का रिकॉर्ड कायम रख पाती है या नहीं. 23 मई को पता चलेगा.

 

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