संसद में पेश होगी आज काले धन पर रिपोर्ट, पता चलेगा कितना है देश–विदेश में काला धन !…

केंद्र सरकार आज 17वीं लोकसभा के बजट सत्र में संसद में काले धन पर रिपोर्ट पेश कर सकती है. वित्त मामलों की स्थायी समिति ने इस बारे में अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली है.

इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट 28 मार्च को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पेश की जा चुकी है. इसकी कॉपी अब लोकसभा की वेबसाइट पर डाल दी गई है.

आर्थ‍िक सुधारों के दौर में विदेश गया 9.41 लाख करोड़ रुपये का काला धन!

प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार 1990 से लेकर 2008 के बीच में कांग्रेस शासन के दौरान देश में आर्थ‍िक सुधारों के दौर में 9,41,837 करोड़ रुपए का काला धन बाहर भेजा गया.

स्टैंडिंग कमिटी ऑन फाइनेंस की देश में काले धन पर 73वीं प्रिलिमनरी रिपोर्ट में काले धन की समीक्षा की गई है. इस रिपोर्ट को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस ऐंड पॉलिसी, नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक्स रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंश‍ियल मैनेजमेंट की रिपोर्ट पर तैयार किया गया है.

 

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सबसे ज्यादा काला धन रियल स्टेट में

स्टैंडिंग कमिटी ऑन फाइनेंस की इस प्रारंभि‍क रिपोर्ट में कहा गया है कि वह सेक्टर जिनमें काला धन सबसे ज्यादा है वह है रियल स्टेट, माइनिंग, फार्मास्युटिकल्स, पान मसाला, गुटखा, टोबैको इंडस्ट्री, बुलियन और कमोडिटी मार्केट.

इसके अलावा सबसे ज्यादा काला धन फिल्म इंडस्ट्री, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और प्रोफेशनल्स के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. सिक्यूरिटी मार्केट और मैन्युफैक्चरिंग में भी काले धन की भरमार है.

देश भर में कितना काला धन है इसके बारे में कोई भी तर्कसंगत अनुमान नहीं है. इसी के साथ यह भी कहा जाता है कि कैसे इसका अनुमान लगाया जाए इसका भी तरीका अभी तक ढूंढा नहीं जा सका है.

इन सबके बावजूद ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनामिक कोऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट ने मॉनिटरी मेथड, ग्लोबल इंडिकेटर मेथड, लेट एंड वेरिएबल मेथड का इस्तेमाल 2002 में काले धन की इस्तेमाल के लिए किया था.

इन तीनों तरीकों के साथ साथ सर्वे बेस्ड मेथड का भी इस्तेमाल एनआइपीएफपी, एनआईएफएम और एनसीएईआर ने किया है.

 

जीडीपी का 7 से 10 फीसदी काला धन

एनआईएफएम ने अलग-अलग तरीकों के आधार पर 2010 2011 में देश में  काला धन  जीडीपी का 7 से लेकर 10 फ़ीसदी होने का अनुमान लगाया.

तीनों संस्थानों के अध्ययन से यह पाया गया कि देश के अंदर और बाहर काले धन के अनुमान को सही-सही लगा पाना कठिन है ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि तीनों इंस्टीट्यूट के अनुमानों में काफी भिन्नता है.

चीफ इकोनामिक एडवाइजर ने कमेटी को यह सुझाव दिया कि तीनों इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट को एक साथ रखकर साझा अनुमान भी नहीं दिया जा सकता है.

 

तीस साल में करीब 500 अरब काला धन बाहर गया!

नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक्स रिसर्च यानी एनसीएईआर ने विभिन्न तरीकों से यह अनुमान लगाया है की 1980 से लेकर 2010 तक भारत से बाहर जो काला धन भेजा गया वह 384 अरब डॉलर से लेकर 490 अरब डालर के बीच रहा.

वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक पॉलिसी और फाइनेंस ने 1997 से लेकर 2008 के बीच देश से बाहर भेजे गए काले धन का अनुमान जीडीपी का 0.2 प्रतिशत से लेकर 7.4% रहने का अनुमान जताया है.

नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट यानी एनआईएफएन ने यह अनुमान लगाया है कि 1990 से लेकर 2008 के बीच में रिफॉर्म पीरियड के दौरान 9,41,837 करोड़ रुपए का काला धन बाहर भेजा गया.

एनआईएफएम का यह अनुमान है कि दौरान देश में मौजूद कुल काले धन का 10 फ़ीसदी हिस्सा ही देश से बाहर गया.

 

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