हर महीने पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का आखिर क्यों है इतना महत्व, जानें पूजा की विधि

भगवान गणेश को शुभ कार्यों का देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उनकी स्तुति की जाती है। भगवान गणेश की पूजा का महत्व संकष्टी चतुर्थी के दिन और भी बढ़ जाता है।

संकष्टी चतुर्थी

पौराणिक मान्यता के अनुसार, अगर आप इस दिन पूरे श्रद्धाभाव के साथ उनकी स्तुति करते हैं, तो आपकी मनोकामना पूरी होती है। आपको भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए एक विशेष पूजन विधि के साथ उनकी स्तुति करनी है। आइए, जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और पूजन विधि-

कब है संकष्टी चतुर्थी
संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणपति की आराधना करके विशेष वरदान प्राप्त किया जा सकता है और सेहत की समस्या को भी हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 15 नवंबर, शुक्रवार को है।

संकष्टी के दिन चन्द्रोदय -07:48 (शाम)
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ -नवम्बर 15, 2019 को 07:46 (शाम)
चतुर्थी तिथि समाप्त -नवम्बर 16, 2019 को 07:15 (शाम)

इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके और सेहत के अलावा घर में गृहक्लेश की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाए।

हर महीने पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का आखिर क्यों है इतना महत्व, जानें पूजा की विधि

इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश से मनचाहे फल की कामना की जाती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें। गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। ध्यान रखे कि पूजा करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरह रहे। भगवान गणेश के आगे दीपक जलाकर उन्हें फूलों की माला अर्पित करें। उनकी आरती उतार कर लड्डू का भोग लगाएं और प्रसाद सभी में वितरित कर दें।

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