विधानसभा चुनाव ! कम मतदान के कारण बीजेपी पर बना चिंता का विषय…

विधानसभा चुनाव को लेकर पुरे देश में तैयारियां जोरो से हैं. देखा जाए तो हरियाणा साथ ही महाराष्ट्र में बीजेपी को कम मतदान मिले हैं। खबरों के मुताबिक साल 2014 में इन राज्यों में बम्पर वोटिंग हुई थी।

 बतादे की पांच साल बाद 2019 में यही वोटर घर से कम निकले और अब तस्वीर पूरी तरह बदलती दिख रही है। हरियाणा में भाजपा पर सत्ता गंवाने का भी खतरा मंडराने लगा है। आंकड़ों का विश्लेषण करें तो स्पष्ट होता है कि कम मतदान ने ही भाजपा का खेल बिगाड़ दिया है।
वहीं साल 2000 के बाद से हरियाणा में हर बार चुनावों में मतदान प्रतिशत बढ़ता गया। वर्ष 2000 में 69 फीसदी, 2005 में 71.9, 2009 में 72.3 फीसदी मतदान हुआ। पिछले चुनावों में तो ये रिकॉर्ड भी टूट गए और 76.6 फीसदी मतदान हुआ। मगर इस बार महज 65.57 प्रतिशत लोगों ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
वर्ष 2014 और 2019 के वोट प्रतिशत की तुलना की जाए तो इस बार 11.03 फीसदी लोगों ने विधानसभा चुनावों में मतदान नहीं किया। 2014 में भाजपा करीब नौ फीसदी ज्यादा वोट हासिल कर पहले स्थान पर रही थी। भारी मतदान के दम पर ही भाजपा चार सीटों से 47 सीटों पर पहुंची थी।
हरियाणा में 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने अकेले 33.3 फीसदी वोटों पर कब्जा किया था जबकि इनेलो 24.1 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। कांग्रेस 20 फीसदी वोट के साथ 15 सीटों पर सिमट गई। भाजपा और इनेलो के बीच का अंतर 9.2 फीसदी रहा। इस बार संभवत: इन्हीं वोटरों ने वोट नहीं किया, जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा।
दरअसल महाराष्ट्र में 2009 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को महज 14.02 फीसदी वोट मिले थे। मगर 2014 में उसका वोट प्रतिशत 31.15 हो गया। करीब 17 फीसदी ज्यादा। इसी के दम पर भाजपा ने 76 सीटें ज्यादा जीतते हुए शतक बनाया। कांग्रेस को भाजपा से करीब 13 प्रतिशत कम 18.10 फीसदी वोट मिले। इस बार भाजपा 100 सीटों के पास ही थमती दिख रही है।
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