वारंट ऑर्डर गलत, इसे निष्पादित नहीं किया जाना चाहिए : न्यायमूर्ति कर्णन

वारंटकोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी.एस. कर्णन ने शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय के सात न्यायाधीशों की संविधानिक पीठ द्वारा उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट को ‘गलत’ बताया और कहा इस आदेश का उनके खिलाफ निष्पादन नहीं किया जाना चाहिए। यहां न्यू टाउन स्थित उनके आवास पर जब संवाददाताओं ने उनसे पूछा कि क्या वे सर्वोच्च न्यायालय के सामने उपस्थित होंगे तो उन्होंने कहा, “क्यों?”

उन्होंने आरोप लगाया कि ‘कानूनी क्षेत्र का खराब ज्ञान रखने वाले माननीय न्यायाधीशों ने गलती की है।’ यह पिछले कुछ दिनों के दौरान मीडिया के साथ न्यायमूर्ति कर्णन की दूसरी बातचीत थी।

शुक्रवार को उन्होंने मीडिया से कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट ‘असंवैधानिक है और बतौर एक दलित न्यायाधीश मेरे जीवन को बर्बाद करने का जान बूझकर किया जा रहा प्रयास है।’

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। अदालत द्वारा स्वयं उनके खिलाफ शुरू किए गए अदालत की अवमानना के मामले में उन्होंने पेश होने से इनकार कर दिया था। इस पर वारंट जारी हुआ।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक से कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से जाकर न्यायमूर्ती कर्णन को जमानती वारंट दें और 31 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय के सामने उन्हें पेश करें।

न्यायाधीश कर्णन ने शनिवार को कहा, “विद्वान न्यायाधीशों द्वारा पारित किया गया आदेश एक त्रुटि है .. सात न्यायाधीशों ने उस आदेश को पारित किया जो कानून से बाहर है। इसलिए इस आदेश को लागू नहीं किया जाना चाहिए, मेरे खिलाफ निष्पादित नहीं किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “भारत के प्रधानमंत्री को उन्होंने लिखित शिकायत की थी, जिसके आधार पर सात न्यायाधीशों द्वारा स्वत: मुझ पर अवमानना का मामला चलाया है। मैंने अपनी शिकायत में 20 न्यायाधीशों का उल्लेख किया है। वे (20 न्यायाधीश) मेरे खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए आगे नहीं आए हैं। क्यों (फिर) मेरे खिलाफ सुओ मोटो अवमानना का मामला चलाया गया?” एक प्रश्न के जवाब में न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि अभी तक उन्हें वारंट नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि जनता को गलत आदेशों का पालन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि कोई न्यायाधीश गलत आदेश पारित करता है, तो जनता को गलत आदेश का साथ देने की आवश्यकता नहीं है जो निष्पादन के योग्य नहीं है।”

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कर्णन ने जनवरी महीने में 20 ‘भ्रष्ट न्यायाधीशों’ के नाम का उल्लेख किया था और कहा था कि भारतीय न्यायपालिका में ‘उच्च भ्रष्टाचार’ को रोकने के लिए इनके खिलाफ जांच होनी चाहिए।

दो न्यायाधीशों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति कर्णन ने शनिवार को कहा कि इसकी जांच करना अतिआवश्यक है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है और इसके बजाय ‘भ्रष्ट न्यायाधीशों को बचाया जा रहा है।’ उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि भारतीय न्यायपालिका भ्रष्ट है।”

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