
नया साल 2019 आरंभ हो चुका है। इसके साथ ही साल के त्योहारों का सिलसिला भी प्रारंभ हो गया है। लोहड़ी साल के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस साल लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी, दिन रविवार को मनाया जाएगा। पिछले साल भी 13 जनवरी को ही लोहड़ी मनाई गई थी। भारत में लोहड़ी का पर्व मुख्य रूप से पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखण्ड और जम्मू में मनाया जाता है।
इस लोकप्रिय त्योहार को शीतकालीन उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों के बाहर लोहड़ी जलाते हैं। आग का घेरा बनाकर आपस में दुल्ला भट्टी की कहानी कहते-सुनते हैं। साथ ही रेवड़ी, मूंगफली और लावा खूब खाया जाता है। लोहड़ी के सेलिब्रेशन का नजारा देखने लायक होता है। लोहड़ी के जश्न में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
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क्यों मनाते हैं लोहड़ी: लोहड़ी को पारंपरिक रूप से फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा हुआ त्योहार माना जाता है। माना जाता है कि लोहड़ी शब्द ‘लोई'(संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ है। हालांकि कुछ लोग लोहड़ी को ‘तिलोड़ी’ से उत्पन्न हुआ शब्द भी बताते हैं।
इसके अलावा लोहड़ी को लेकर यह भी कहा जाता है कि यह शब्द ‘लोह’ से आया है। कहा जाता है कि लोहड़ी की आग पूस की आखिरी रात और माघ की पहली सुबह की कड़क ठंड को कम करने के लिए जलाई जाती है। मान्यता यह भी है कि लोहड़ी की आग जलाने के बाद से सर्दी कम हो जाती है।
कौन थे दुल्ला भट्टी: दुल्ला भट्टी का संबंध मुगल काल में अबकर के शासनकाल से है। दुल्ला भट्टी पंजाब में रहते थे। कहते हैं कि उस समय लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जाता था। दुल्ला भट्टी ने लड़कियों को इन अमीर सौदागरों से बचाया था।
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और इनकी शादी हिंदू लड़कों से कराई थी। दुल्ला भट्टी को अपने समाज में नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था। हर साल लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई जाती है। यह कहानी इस प्रकार से है- सुंदर मुंदरिये! ………………हो तेरा कौन बेचारा, ……………..हो दुल्ला भट्टी वाला, ……………हो दुल्ले घी व्याही, ………………हो सेर शक्कर आई, ……………..हो कुड़ी दे बाझे पाई, ……………..हो कुड़ी दा लाल पटारा, ……………हो।