नई दिल्ली। श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने गुरुवार को लोक सभा में देश के 40 करोड़ से ज्यादा मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए लेबर बिल 2017 पेश किया। उन्होंने दावा किया कि इस बिल में मजदूरों के हित के लिए केंद्रीय स्तर पर काम किया गया है। दत्तात्रेय ने कहा कि इस बिल के लागू होने के बाद से किसी भी स्थिति में मजदूरों के अधिकारों का हनन नहीं होगा। इसके अलावा मजदूरों को समय से पगार न देने वालों पर जुर्माना या फिर तीन माह की कैद या दोनों सजाएं एक साथ दी जाएंगी।
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दत्तात्रेय ने लोकसभा में लेबर बिल 2017 पेश करते हुए यह भी बताया कि नए बिल में पुराने चार बिलों को भी जोड़ा गया है जिसमें 1936, 1948, 1965 और 1976 के एक्ट शामिल हैं। इसके अलावा इस बिल के जरिए नियोक्ताओं के अधिकारों को भी ध्यान में रखा गया है।
उन्होंने कहा कि एक पैनल बनाकर अब से हर पांच साल में सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम मजदूरी की समीक्षा की जाएगी।
दत्तात्रेय ने बताया कि इस पैनल में नियोक्ता और श्रमिकों के प्रतिनिधियों के अलावा स्वतंत्र लोग भी शामिल होंगे।
दत्तात्रेय ने कहा कि दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों को शिफ्ट खत्म होने पर और साप्ताहिक मजदूरों को उनका कार्य सप्ताह पूरा होने के आखिरी कार्य दिवस पर पगार देनी होगी।
उन्होंने कहा कि पाक्षिक मजदूरों को उनके काम के खत्म होने के बाद दूसरे दिन भुगतान करना होगा। इसके अलावा मासिक आधार वाले मजदूरों को अगले महीने की सात तारीख से पहले वेतन देना होगा।
दत्तात्रेय ने बताया कि इस बिल के पास होने के बाद अगर किसी भी मजदूर को कम पगार दी गई तो उसके मालिक के पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा तीन महीने जेल में भी गुजारने पड़ सकते है।