अब छोटी बचत योजनाओं पर कर्ज की ब्याज दर देनी होगी कम, रिजर्व बैंक ने लिया ये फैसला

रिजर्व बैंक ने एनबीएफसी और एमएफआई से कर्ज लेना सस्ता कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को बताया कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए इनके कर्ज पर ब्याज की आधार दर में मामूली कटौती की गई है। इससे लघु उद्योगों और खुदरा उपभोक्ताओं को कम ब्याज पर कर्ज मिल सकेेगा।

रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक, 1 जुलाई से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) के लिए कर्ज की आधार दर 9.18 फीसदी रहेगी। ये वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों से इसी आधार दर के हिसाब से कर्ज पर ब्याज वसूल सकेंगे।

वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह आधार दर 9.21 फीसदी थी। आरबीआई ने 7 फरवरी, 2014 को दिशानिर्देश जारी कर बताया था कि हर तिमाही के आखिरी कार्यदिवस पर वह एनबीएफसी व एमएफआई की अगली तिमाही के लिए औसत आधार दरें तय करेगा। इसी के तहत उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाले ब्याज की सीमा तय की जाएगी।

एनबीएफसी की रेपो रेट है यह आधार दर

रिजर्व बैंक की ओर से तय की जाने वाली यह औसत आधार दर एनबीएफसी और एमएफआई के लिए रेपो रेट की तरह होती है। जिस तरह वाणिज्यिक बैंक रेपो रेट में अपनी अपना परिचालन खर्च जोड़कर एमसीएलआर तय करते हैं। उसी तरह एनबीएफसी भी इस आधार दर में अपने परिचालन खर्चों को जोड़कर ग्राहकों से कर्ज पर ब्याज वसूलती हैं। आरबीआई इस दर का निर्धारण पांच बड़े वाणिज्यिक बैंकों की आधार दर के हिसाब से तय करता है।

बंगाल का बवाल फिर चढ़ रहा परवान, अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलग ‘डाइनिंग हॉल’ का फैसला

रिजर्व बैंक ने जताई थी चिंता

रिजर्व बैंक ने एक दिन पहले जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में भी माना है कि देश की एनबीएफसी की वित्तीय हालत काफी खराब है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि बड़ी एनबीएफसी का डूबना बैंकों के बरबाद होने जैसा है। लिहाजा इस क्षेत्र को ज्यादा मदद और निगरानी की जरूरत है। सबसे बड़ी एनबीएफसी में शुमार दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) कई डिफाल्ट की वजह से डूबने की कगार पर पहुंच गई है।

बढ़ रहा क्षेत्र पर संकट

एनबीएफसी क्षेत्र पर वित्तीय संकट में और इजाफा होता जा रहा है। मार्च 2019 तक आरबीआई के साथ पंजीकृत 9 हजार से ज्यादा एनबीएफसी में से सिर्फ 8 ने बाजार से धन जुटाए थे। उनका सकल एनपीए भी 2018-19 में बढ़कर 6.6 फीसदी हो गया है, जो 2017-18 में 5.8 फीसदी था। हालांकि, इस दौरान वास्तविक एनपीए में मामूली गिरावट आई और यह 2017-18 के 3.8 फीसदी से घटकर 2018-19 में 3.7 फीसदी पहुंच गया।

LIVE TV