राम मंदिर बनने से पहले ही कटघरे में भाजपा, ये बात फेर देगी अरमानों पर पानी

राम मन्दिर निर्माणनई दिल्ली। साल 1992 से बाबरी विध्वंस और राम मन्दिर निर्माण का मामला पूरे यूपी में अपने आप में एक बड़ा बवंडर समेटे हुए है। यह मुद्दा जितना ही धार्मिक तौर पर ख़ास अहमियत रखता है, उतना ही हाथ इसमें सियासत का भी है। अक्सर राजनीतिक दल इस मुद्दे को जीत के लिए जगाते और कैश कराते रहे हैं। ऐसा ही हाल ही में हुए यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी किया गया। नतीजन भाजपा सरकार पूर्ण बहुमत से यूपी में आई और सीएम के रूप में योगी आदित्यनाथ ने कुर्सी संभाली। भाजपा ने अपने मेनफेस्टो में राम मंदिर निर्माण को ख़ास तरजीह दी थी। हिन्दू आस्था से जुड़े लोग भी इस बार मंदिर निर्माण के लिए लालायित हैं। लेकिन वहीं एक बार फिर राम मन्दिर निर्माण में रोड़ा लगता दिखाई दे रहा है। इस मामले में भाजपा कटघरे में दिखाई दे रहे है। भाजपा के कई दिग्गजों के खिलाफ सुनवाई की जानी है।

राम मन्दिर निर्माण में रोड़ा

दरअसल बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती के खिलाफ सुनवाई एक दिन के लिए टल गई है। अब सुप्रीम कोर्ट कल (23 मार्च) इस मामले में सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट आज 22 मार्च को इस मामले पर फैसला सुनाने वाली थी कि क्या बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आडवाणी समेत बीजेपी के कई नेताओं पर मस्जिद गिराने के लिए आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा फिर से चलाया जा सकता है या नहीं।

इससे पहले इलाहाबाद की हाई कोर्ट ने 20 मई 2010 को इन नेताओं के खिलाफ बाबरी मस्जिद गिराने के लिए आपराधिक साजिश रचने के आरोप को हटा दिया था, ऐसा करते हुए हाई कोर्ट ने विशेष अदालत के निर्णय को कायम रखा था, बाद में  CBI  ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी और हाई कोर्ट के इस फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी।

6 मार्च को भी सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा था, ‘हम सिर्फ तकनीकी आधार पर आरोप मुक्त करना स्वीकार नहीं करेंगे और हम पूरक आरोप पत्र की अनुमति देंगे।’

इससे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने बाबरी मस्जिद राम मंदिर विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 21 मार्च को की गई टिप्पणी के मुद्दे पर कहा था कि वे भी चाहते हैं कि इससे जुड़े सभी पक्ष अदालत की टिप्पणी का भाव समझते हुए एक मंच पर आएं और कोर्ट से बाहर ही इस मसले का समाधान खोजें।

21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, बाबरी मस्जिद, राम मंदिर विवाद से जुड़े पक्षकारों को अदालत से बाहर ही इस हल खोजने की कोशिश करनी चाहिए और जरुरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में मध्यस्थता के लिए भी तैयार है।

इधर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद आज 22 मार्च को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य फिरंगी महली ने कहा कि, ‘ AIMPLB सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के तहत राम मंदिर विवाद के समाधान के लिए कोर्ट से बाहर सुलह के लिए तैयार है।

अब देखना यह है कि इस मामले में क्या कोर्ट भाजपा के इन महान दिग्गजों के खिलाफ कार्रवाई करेगी या कोर्ट के बाहर ही समाधान निकल आएगा। यदि ऐसा न हुआ तो क्या अभी इसमें और भी बवाल बाकी है?

यह सारे सवाल यूपी की जनता के मन में घर कर गए हैं। लेकिन यह सवाल जितना जटिल है इसका जवाब दे पाना भी उससे कहीं ज्यादा मुश्किल। इसलिए इस मामले का सारा दारोमदार कोर्ट के फैसले पर ही टिका हुआ है।

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