केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ में फूट

तिरुवनंतपुरम। केरल में कांग्रेस के नेतृत्ववाला संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा, यूडीएफ में फूट पड़ गयी है। केरल कांग्रेस (मणि) इस गठबंधन से अलग हो गई। उसने विधानसभा चुनाव में जबरदस्त हार के लिए कांग्रेस नेतृत्व के एक वर्ग को जिम्मेदार ठहराया। पार्टी के नेता और पूर्व वित्तमंत्री के.एम मणि ने तिरुवला के पास कहा, “कभी नहीं से बेहतर है देर से। यह पहले ही हो जाना चाहिए था। कृपया हमें छोड़ने की इजाजत दें। हम किसी को अपशब्द कहे बगैर जा रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने नहीं जा रही है।

उन्होंने कहा, “केरल विधानसभा में और संसद में हम एक अलग ब्लॉक में बैठेंगे। संसद में इस पार्टी के दो सदस्य हैं। हम मुद्दों के आधार पर अपना समर्थन देंगे।”

मणि ने कहा कि उनकी पार्टी स्थानीय निकायों के प्रशासन में संकट पैदा नहीं करेगी।

पिछले दो दिनों से केरल कांगेस (मणि) का नेतृत्व यूडीएफ के साथ अपने भविष्य को लेकर पार्टी के अंदर विचार-विमर्श कर रहा था।

मणि की पार्टी वर्ष 1982 से ही यूडीएफ की घटक थी। केरल कांग्रेस में टूट के बावजूद मणि कांग्रेस के साथ बने रहे थे। मणि वर्ष 1967 से ही विधायक हैं और राज्य का 13 बजट पेश कर चुके हैं।

इस विभाजन के बाद 140 सदस्यीय विधानसभा में यूडीएफ की क्षमता 47 सदस्यों से घट कर 41 रह गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने मणि के फैसले को दुखद बताया है।

चांडी ने कहा, “मणि ने यूडीएफ की बैठकों में कभी भी अपनी समस्याएं नहीं बताईं। उनका इससे बाहर जाना कष्टकर है।”

मणि विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के नेतृत्ववाले कांग्रेस के एक वर्ग से नाराज थे।

बार घोटाले में केरल उच्च न्यायालय की एक प्रतिकूल टिप्पणी के बाद मणि को वर्ष 2015 में वित्तमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उस समय चेन्निथला राज्य के गृहमंत्री थे।

मणि का मानना है कि उन्हें फंसाया गया था, क्योंकि बार के मालिक ने जब यह आरोप लगाया कि मणि बंद कराए गए बार को खोलने के लिए रिश्वत ले रहे हैं तो उनके खिलाफ सतर्कता विभाग ने कार्रवाई शुरू की थी।

मणि ने कहा, केवल बार घोटाला ही नहीं कई अन्य मुद्दे भी हैं। परिवार में एकता होनी चाहिए, जो वहां कभी नहीं थी।

उन्होंने कहा, “हमें निशाना बनाया जा रहा था। इसलिए हमारे पास उसे छोड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।”

मणि ने कहा, “भविष्य की रणनीति तय करने के लिए पार्टी की बैठक 14 अगस्त को होगी। हम एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में काम करेंगे।”

एलडीएफ के संयोजक वैकोम विसवान ने कहा कि चूंकि चांडी हमेशा से मानी को प्रमुख नेता बताते रहे हैं, इसलिए अब यूडीएफ को भंग कर देना चाहिए, क्योंकि प्रमुख नेता ने कांग्रेस के नेतृत्ववाले गठबंधन को छोड़ दिया है।

 

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