भीतरी प्रसन्‍नता

मुरारी बापू की बातें आज के समाज और विश्‍व के लिए सार्वभौमिक हो गई हैं। मुरारी बापू की बातें  हमें जीवन को जीने का सही तरीका बताती हैं। परिचय तो हम आपको पहले ही करा चुके हैं। लेकिन संत वो संत ही क्‍या जिसके विचारों का अंत हो जाए। ये तो अनंत ब्रह़मांड में गूंजते रहते हैं। मुरारी बापू की बातें और उनके रामकथाएं हमें भक्ति के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर देती  हैं। जानिए बापू के दस अनमोल विचार

मुरारी बापू की बातें

मुरारी बापू की बातें

1:सदगुरु हम में रही चेतना को विकसित करता है ।
2:मोक्ष दो अक्षर का शब्द । मो का अर्थ मोह और क्ष का अर्थ क्षय नाश हो जाना । हमारे जीवन में धीरे धीरे मोह का नाश हो जाये कम हो जाये। उसी को मोक्ष कहते है ।
3:गुरु की चरण रज आश्रित के मन रुपी दर्पण को साफ़ करती है ।
4:किस योग से हम योगेश्वर अनुभव कर सकते है १. समता – हम समता सीख जाये २. कार्य कुशलता – अपने कार्य क्षेत्र में कुशल बने ।
5:जीवन में सहज और स्वाभाविक जीना पुन्य है ।
गृहणा नफ़रत पाप है । प्रेम पुन्य है ।
6:व्यक्ति जैसा भी है जब एक परम तत्व का शरणागत हो जाता है तो उसे कुछ करने को बचता नहीं ।
7: फ़ूल एकान्त में खिलता है व्यक्ति के अंतःकरण का फ़ूल भी एकान्त में खिलता है । प्रत्येक व्यक्ति को अपना एकान्त संभालना चाहिये ।
8:संसार छुडा दे वो गुरु नहीं । संसार का सार समझा दे वो गुरु ॥
9:जब भीतरी प्रसन्नता शुरु हो जाये तो समझना हमने मधु चख लिया ।
10:हम सुखी होने के लिये दुखी हो रहे है यह अमंगल है ।
हम दूसरों को सुखी करने के लिये दुखी हो वो मंगल है।

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