पराली जलाने का 5 बजे वाला खेल: किसान सैटेलाइट को चकमा देकर शाम को सुलगा रहे खेत, ISRO-NASA स्टडी ने खोली सरकार की पोल

केंद्र सरकार भले ही दावा कर रही हो कि पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 90% तक कम हो गई हैं, लेकिन दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा जस की तस बनी हुई है। अब इसरो और नासा के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि किसान सैटेलाइट की नजर बचाने के लिए पराली जलाने का समय बदल रहे हैं।

पहले दोपहर 1:30 बजे पीक पर रहने वाली आग अब शाम 5 बजे के आसपास सुलगाई जा रही है, क्योंकि ज्यादातर पोलर ऑर्बिटिंग सैटेलाइट दिन में सिर्फ दो बार (सुबह 10:30 और दोपहर 1:30 के आसपास) ही क्षेत्र को स्कैन करते हैं।

इसरो के स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर (अहमदाबाद) के चार शोधकर्ताओं ने 25 नवंबर को ‘करंट साइंस’ जर्नल में प्रकाशित पेपर में लिखा है कि 2020 में पराली की आग दोपहर 1:30 बजे पीक पर रहती थी, जो 2024 तक धीरे-धीरे शाम 5 बजे तक खिसक गई। साथ ही आग जलाने का समय भी छोटा कर दिया गया है ताकि सैटेलाइट की नजर से बच जाए। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर से जुड़े वैज्ञानिक हिरेन जेठवा ने भी 1 दिसंबर को एक्स पर लिखा कि पंजाब में 2025 की पराली जलाने का तीसरा सबसे खराब साल रहा है (2019 और 2024 के बाद), लेकिन पोलर सैटेलाइट शाम की आग नहीं पकड़ पाते, इसलिए आंकड़े 92% कम दिख रहे हैं।

ग्राउंड रिपोर्ट भी यही कहानी दे रही है। पंजाब के संगरूर में पटवारी यूनियन अध्यक्ष विपिन और कृषि अधिकारी अमरजीत सिंह ने खुलकर बताया कि किसानों को अच्छी तरह पता है कि सैटेलाइट दिन में दो बार 10 मिनट में पंजाब को कवर कर गुजर जाती है। इसलिए अब ज्यादातर किसान शाम 4 बजे के बाद पराली जलाते हैं। इंडिया टुडे टीवी की ग्राउंड इन्वेस्टिगेशन में भी यही सच सामने आया।

दूसरी तरफ केंद्र सरकार पोलर ऑर्बिटिंग सैटेलाइट के ही डेटा पर भरोसा कर तालियां बजा रही है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 2 दिसंबर को लोकसभा में कहा कि 2025 में पंजाब-हरियाणा में पराली की घटनाएं 2022 की तुलना में 90% कम हुई हैं। कृषि मंत्रालय और CAQM भी यही आंकड़े दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। लेकिन इसरो और नासा के जियोस्टेशनरी सैटेलाइट डेटा बता रहे हैं कि धुएं की मात्रा में कोई खास कमी नहीं आई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सरकार सिर्फ पोलर सैटेलाइट डेटा पर निर्भर रहेगी, तब तक पराली जलाने के असली आंकड़े छिपते रहेंगे और दिल्ली की हवा जहरीली बनी रहेगी। इसरो के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि शाम की आग को नजरअंदाज करने से कार्बन उत्सर्जन का आकलन भी गलत हो रहा है।

LIVE TV