इसरो ने लगाया विक्रम लैंडर का पता, अब खुलेंगे कई राज

मिशन चंद्रयान से संपर्क टूटने के बाद आज उम्मीद की किरण दिखाई दी है. लैंडर का ISRO ने पता लगा लिया है. इसरो के वैज्ञानिकों को ऑर्बिटर की थर्मल इमेजिंग से लैंडर विक्रम का पता चला है.

मिशन चंद्रयान

इसरो का दावा है कि उसे लैंडर विक्रम के सटीक लोकेशन का पता चल गया है. फिलहाल नुकसान का पता नहीं चल पाया है. इसरो के वैज्ञानिक नुकसान का अनुमान लगा रहे हैं. लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश हो रही है.

इसरो के लिए बड़ी चुनौती अब लैंडर विक्रम की सही स्थिति का पता लगाना है. इसके अलावा 5 अहम सवाल हैं जिनका जवाब इसरो के वैज्ञानिकों को तलाशना है.

  1. वैज्ञानिकों की पहली कोशिश ये पता लगाने की होगी कि विक्रम चांद की सतह पर लैंड कर पाया नहीं?
  2. विक्रम ने क्रैश किया या फिर सतह पर उतरने से पहले दिशा भटक गया?
  3. अगर क्रैश किया तो कितना नुकसान हुआ है?
  4. क्या विक्रम तक सूर्य की रोशनी पहुंच रही है?
  5. क्या सोलर एनर्जी से विक्रम दोबारा काम कर पाएगा?

दरअसल विक्रम में सोलर पैनल लगे हैं और अगर उस तक सूर्य की किरणें पहुंच रही होंगी तो उसके फंक्शनल होने की उम्मीद कई गुना बढ़ जाएगी. आपको बता दें कि विक्रम लैंडर को ही चांद की सतह पर लैंड करना था. लेकिन महज 2.1 किलोमीटर पहले ही लैंडिंग के वक्त लैंडर का संपर्क टूट गया.

ये देश की सबसे बड़ी मायूसी थी जो 7 सितंबर की रात मिशन चंद्रयान की नाकामी के बाद छलकी थी. देश मायूस हुआ, वैज्ञानिक मायूस हुए. प्रधानमंत्री मायूस हुए. लेकिन आज उस मायूसी के बीच उम्मीद की नई रोशनी आई है. जब से चंद्रयान के लैंडर विक्रम का पता चला है.

बेशक मिशन चंद्रयान अधूरा रहा. लेकिन विक्रम का लोकेशन पता चलने से कई राज खुलने के आसार बन गए हैं. कहा जाता है कि निराशा के आगे ही आशा है. चंद्रयान 2 के साथ भी ऐसा ही हो रहा है, जिस विक्रम लैंडर को लेकर लोगों के मन में हजारों सवाल तैर रहे थे, उसके दीदार हो गए हैं.

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इसरो के वैज्ञानिकों को ये पता चल गया है कि उनके संपर्क से बाहर जाने वाला लैंडर अभी कहां हैं. ये कमाल ऑर्बिटर ने कर दिखाया है. चंद्रमा की कक्षा में घूमने वाले ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज भेजी है. बेंगलुरू के इसरो सेंटर में मौजूद वैज्ञानिक दिन रात एक किए हैं कि किसी तरह लैंडर से संपर्क भी हो जाए.

गौरतलब है कि रविवार को ही पीएम मोदी इसरो चीफ को गले लगाकर उनका दर्द बांटा. पूरा देश ISRO के साथ खड़ा हो गया और आज जब विक्रम की लोकेशन मिलने की खबर आई है तो लोग उम्मीदों के बांध बांधने लगे हैं.

विज्ञान से दूर-दूर तक नाता ना रखने वाले भी चंद्रयान से चमत्कार होने का इंतजार कर रहे हैं. 24 घंटे पहले छाई निराशा के बीच आज आशा की कुछ रोशनी दिखने लगी है. संपर्क टूटने के 36 घंटे बाद लैंडर विक्रम की लोकेशन मिली है.

चंद्रयान से उम्मीदें देश ने कल भी नहीं तोड़ी थी और आज भी नहीं तोड़ी है. इसरो चीफ ने आजतक से बातचीत में बताया है कि वैज्ञानिक लैंडर के साथ संपर्क साधने की कोशिश में लगे हैं.

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इसके अलावा चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) से विक्रम लैंडर की तस्वीर ली जाएगी. यह कैमरा चांद की सतह पर 0.3 मीटर यानी 1.08 फीट तक की ऊंचाई वाली किसी भी चीज की स्पष्ट तस्वीर ले सकता है.

गौरतलब है कि चंद्रयान-2 ने 22 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद 47 दिनों तक विभिन्न प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के साथ करीब चार लाख किलोमीटर की दूरी तय की. लेकिन चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया.

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