मंत्री का पद पाने के लिए नेता कर रहे ये काम

भोपाल| मध्य प्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए एक सप्ताह का वक्त गुजर गया है, मगर मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। एक तरफ नेताओं में जहां मंत्रिमंडल को लेकर जोर-आजमाइश चल रही है तो दूसरी ओर नौकरशाही पर कब्जा करने की होड़ मची है। इस मामले में कांग्रेस के कई नेता आमने-सामने हैं, वहीं कमलनाथ के लिए सबसे बड़ी चुनौती है दक्ष, सक्षम और साफ -सुथरी छवि के अफसर को राज्य की नौकरशाही का मुखिया चुनना।

राज्य में मंत्रियों के चयन का दौर दिल्ली में जारी है, मंत्रिमंडल का गठन जल्द करने की कवायद जारी है, पार्टी के प्रदेश प्रमुख और मुख्यमंत्री कमलनाथ बीते तीन दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, उनकी पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पर्यवेक्षक ए.के. एंटनी तक से चर्चा हो चुकी है। अभी सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

चर्चाएं थीं कि 22 या 23 दिसंबर को मंत्रिमंडल का गठन हो जाएगा, मगर वह तारीख भी निकल गई। राहुल गांधी के 28 दिसंबर से छुट्टी पर जाने की बात है, अगर 28 से पहले मंत्रिमंडल के सदस्यों का फैसला हो गया तो ठीक, नहीं तो मंत्रियों के शपथ ग्रहण का समय नए साल तक खिसक सकता है।

एक तरफ जहां सरकार में प्रमुख नेताओं द्वारा अपने-अपने समर्थकों को जगह दिलाने के प्रयास चल रहे हैं तो दूसरी ओर मुख्य सचिव के लिए भी लॉबिंग हो रही है। नेताओं की अपनी-अपनी पसंद है, नियमों को दरकिनार कर नेता अपने पसंदीदा अफसर को तैनात कराना चाहते हैं। आधा दर्जन अधिकारी इस कतार में हैं। वरिष्ठता और आरोपों को भी नजरअंदाज करने की कवायद चल रही है।

पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच कहती हैं कि जब भी सरकार बदलती है तो नौकरशाही में बदलाव होता है। नई सरकार की मंशा होती है कि उसकी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू कराया जाए, और इसके लिए वह अपनी पसंद के अफसरों का तैनात करती है। मगर समस्या यह होती है कि उसे उन्हीं अफसरों से काम कराना होता है, जो उस दौरान सेवा में होते हैं। कई अधिकारी सत्ताधारी पार्टी के आदमी बनकर काम करते हैं और बदलाव के साथ ही अपनी जगह तलाशने लगते हैं।

राज्य के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उनकी सेवावृद्धि अवधि इसी दिन खत्म होने जा रही है। सिंह के स्थान पर काबिज होने के कई दावेदार हैं और उन दावेदारों की निष्ठा कांग्रेस के अलग-अलग नेताओं के प्रति है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ के लिए उस अफसर का चयन आसान नहीं है जो राज्य के लिए काम करे, न कि नेता की इच्छा के मुताबिक।

वहीं कुछ नेता नए मुख्य सचिव के जरिए अपनी ताकत बढ़ाने के साथ राज्य की सरकार पर पर्दे के पीछे रहते हुए अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।

राज्य में मुख्य सचिव के पद के एस.आर. मोहंती, ए.पी. श्रीवास्तव, पी.सी. मीणा, रजनीश वैश्य, राधेश्याम जुलानिया, प्रभांशु कमल बड़े दावेदारों में हैं। इनमें से कई अफसरों की निष्ठाएं जनसेवा से ज्यादा नेताओं के प्रति ज्यादा है और यही कारण है कि नेता इनके लिए लॉबिंग का काम कर रहे हैं। कोई भ्रष्टाचार के आरोप से घिरा है तो किसी पर कमजोर प्रशासक का ठप्पा लगा है। इतना ही नहीं, जो भी नौकरशाहों का मुखिया बनेगा, उससे जुड़े खुलासे भी सामने आने लगेंगे।

दुनिया में कहीं सत्ता बदली तो कहीं जनता ने सरकार को झुकाया

सूत्रों की मानें तो कमलनाथ नेताओं के दवाब में आने की बजाय ऐसे अफसर को मुख्य सचिव पद पर बैठाने की कवायद में लगे हैं, जो सत्ता का दूसरा केंद्र न बने, साथ ही कोई नेता उस अफसर को नियंत्रित न कर सके। यही एक ऐसा पद है, जिससे कमलनाथ की कार्यशैली का संदेश प्रदेश के नौकरशाहों में जाएगा। अगर उन्होंने नेता की पसंद के अफसर को बैठाया तो वे सत्ता के नए केंद्र को जन्म दे देंगे और तब आने वाला समय कांग्रेस के लिए बेहतर नहीं होगा।

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