भेदभाव नहीं सुरक्षा के लिहाज से सिख को हेलमेट ना पहनने पर लगाई रोक : सुप्रीम कोर्ट

हेलमेट या सुरक्षात्मक गियर नहीं पहनने के कारण किसी सिख को साइकिल रेस में हिस्सा लेने से रोकने को भेदभाव या उसके धार्मिक अधिकारियों में हस्तक्षेप नहीं माना जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के 50 वर्षीय सिख साइकिलिस्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता जगदीप सिंह पुरी को हेलमेट नहीं पहनने के कारण आयोजकों ने साइकिल रेस में हिस्सा लेने से रोक दिया था।

जस्टिस एसए बोबडे़, एसके कौल और दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष दलील दी कि जब भारतीय सेना में सिख को पगड़ी पहनने की इजाजत दी जा सकती है तो खेल प्रतियोगिता के आयोजक कैसे इस पर सवाल उठा सकते हैं।

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इस पर पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आप सेना के जवानों के साथ रेस में जाने वाले लोगों की तुलना नहीं कर सकते। सेना में देश सेवा आपका कर्तव्य होता है। वहां किसी तरह का भेदभाव नहीं होता।

आप सेना में शामिल होते हैं तो यह नहीं कह सकते कि मैं युद्ध के लिए नहीं जाऊंगा। दूसरी तरह अगर आप एक साइकिल खरीदते हैं, तो यह जरूर कह सकते हैं कि मैं रेस में हिस्सा नहीं लूंगा।

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आपने याचिका में जो मुद्दा उठाया है वह भेदभाव या किसी के धार्मिक अधिकार में हस्तक्षेप से कोई सरोकार नहीं रखता। इसके साथ कोर्ट ने पेशे से ग्राफिक डिजाइनर जगदीप की याचिका को खारिज कर दिया।

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