भारत का काला सच ! भारत के इस गांव में नही है कोई इंटर पास …

शिक्षा के स्तर में भारत ने काफी तरक्की कर ली है लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे की भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां आजादी के 70 वर्षो के बाद से अब तक सिर्फ 3 ही लोग इंटर की परीक्षा पास तक पाएं है। शायद आपको इस बात पर यकीन न हो, लेकिन यही इस जगह का काला सच है।

उत्तर बस्तर कांकेर जिला के कोयलीबेड़ा ब्लॉक अंतर्गत आने वाले कामतेड़ा पंचायत गांव में आजादी के 70 साल बाद भी मात्र तीन छात्र ही इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर पाए हैं।

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ऐसे कई गांव बस्‍तर इलाके में आज भी मौजूद हैं। जहा शिक्षा का स्तर ना के बराबर है।जिसका कारण  कोई इसे नक्‍सलियों का खौफ तो कोई स्‍कूल और शिक्षकों की कमी बताता है। जबकि इन क्षेत्रों में दर्जनों सुरक्षा बल खनन कंपनिया तैनात हैं।

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बस्तर के एक गांव पंचायत कामतेड़ा की बात करें तो इस पंचायत क्षेत्र में पांच गांव काटाबांस, कटगांव, जामडी, गुंटाज और मिंडी आते हैं। इन पांच आश्रित ग्रामों में पूर्व माध्यमिक पाठशाला में मात्र दो शिक्षक हैं। वहीं माध्यमिक स्कूल कामतेड़ा पंचायत मुख्यालय में स्थित है।

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यहां भी सिर्फ दो शिक्षक हैं। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी भाषा के शिक्षक आज तक तैनात नहीं हो पाए हैं। इसके चलते यहां से केवल तीन इंटरमीडिएट पास छात्र हैं। इन स्‍कूलों के शिक्षकों का कहना है कि माध्‍यमिक शिक्षा में 18 विषयों को दो शिक्षक ही पढ़ाते हैं। जबकि नब्‍बे प्रतिशत छात्र आठवीं पास होते ही स्‍कूल आना बंद कर देते हैं।

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इस क्षेत्र में वर्ष 2012 से 2018 के बीच तीन छात्रों मिन्डी निवासी श्याम सिंह सलाम, बलि  राम नुरेटि और बारू राम कोमरा ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है।  इनमें से दो लोग सरकारी नौकरी करते हैं। कामतेड़ा ग्राम पंचायत के ही काटाबांस के प्राथमिक पाठशाला की बात करें तो यहां केवल तीन छात्र पंजीकृत हैं और दो शिक्षक तैनात हैं।

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यही हाल प्राथमिक स्कूल का भी हैं।  बगल के गांव का माध्यमिक शिक्षा का स्तर भी ऐसा ही है। यहां भी गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षक नहीं हैं।

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यूडीआईएसआई के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2017-2018 की तुलना में 2018-2019 में प्राथमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में वृद्धि आयी है। नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि छत्तीसगढ़ में प्राइमरी के सिर्फ 51.67 बच्चों में भाषा, गणित और पर्यावरण को जानने-समझने की क्षमता है। वहीं सेकेंडरी में 45 बच्चे ही हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान में बेहतर कर पाते हैं।

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कुछ महीनों पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक सवाल के जवाब में राज्‍य सरकार ने बताया था कि राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में प्रधानाध्‍यापकों के कुल 47562 पदों में से 24936 पद रिक्त हैं। पंचायत शिक्षकों के 53000 पद रिक्त हैं। वहीं नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में 75 प्रतिशत से अधिक स्कूल, शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।

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