
नई दिल्ली। बीजेपी के दिग्गज नेता और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात को स्वीकार किया है कि देश के अन्नदाता बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं।
किसानों की खस्ता आर्थिक हालात और बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाओं के चलते विगत कुछ समय से सरकार के सामने यह सवाल लगातार उठ रहे थे।गडकरी ने देश में कृषि उत्पाद आधारित जैव ईंधन पर बदलाव की वकालत करते हुए देश में किसानों की वर्तमान स्थिति पर कहा, ‘देश के किसान बुरे हालत में हैं।
वे चावल और गेहूं की खेती करने के बाद मर रहे हैं। चीनी, चावल, गेहूं और दालें सरप्लस में हैं और इसलिए उन्हें (किसानों को) अपनी फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा है।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री सोमवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के बीच एक करार के लिए आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां गडकरी ने कहा, “पहले प्राथमिकता आदिवासी और एग्रीकल्चर को दो, क्योंकि चावल और गेहूं पैदा करके मर गए।
गडकरी ने प्रधान से बातचीत के दौरान कहा ‘हमारे मुंबई में बर्तन माजने की राख 18 रुपए किलो है, और चावल की कीमत 14 रुपए किलो है। पूरे किसानों की हालत खराब है। गडकरी ने कहा कि समस्या ज्यादा सरप्लस से जुड़ी है। अब कोई भी चीज सरप्लस … चीनी अधिशेष, दाल अधिशेष, गेहूं अधिशेष और मूल्य अभी मुशकिल से हम…”।
गडकरी ने प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम इस समस्या से निपटने के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जी ने इतना अच्छा किया, हम देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों ने प्याज की कीमत को 50 पैसे प्रति किलो तक होने पर प्याज को फेंक दिया।
बता दें कि कृषि संकट पर गडकरी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विगत कुछ समय पहले ही केंद्रीय मंत्री के गृह राज्य महाराष्ट्र सहित विभिन्न प्रदेशों में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मुद्दों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है।
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वहीं इसके बाद विपक्षी दल कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए कृषि संकट और कम एमएसपी को हाइलाइट कर रही हैं। बीजद मंगलवार (8 जनवरी) को धान के एमएसपी में बढ़ोतरी की मांग को लेकर दिल्ली में धरना प्रदर्शन करेगी। तो वहीं 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन भी आज से दो दिनों के भारत बंद का ऐलान किया है।