पूरे देश का बिजली का संकट दूर करेगी बस ये एक चीज

को-जनरेशन (गन्ने की खोई से बिजली उत्पादन) के माध्यम से बिजली उत्पादन कर रहीं प्रदेश की शुगर मिलों को अगर प्रोत्साहन मिले, तो शुगर इंडस्ट्री ही प्रदेश का बिजली संकट दूर कर सकती है। सीजन में अपने लिए बिजली उत्पादित करने वाली चीनी मिलें बची हुई बिजली को यूपी ग्रिड को बेच देती हैं।

बिजली का संकट

सकारात्मक नीति से न केवल को-जनरेशन प्लांट की क्षमता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि कोयला आधारित प्लांट लगाकर भरपूर बिजली उत्पादित की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश बिजली के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है। राज्य विद्युत उत्पादन प्लांटों और केंद्रीय ग्रिड के अलावा निजी विद्युत उत्पादन कंपनियों से बिजली लेने के बावजूद मांग और आपूर्ति में अंतर रहता है। उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र की 101 चीनी मिलें है। इनमें से करीब 60 शुगर मिल गन्ना पेराई सीजन में (लगभग पांच महीने) करीब 1050 मेगावाट बिजली उत्पादित करती हैं। करीब 40 फीसदी बिजली यूज करने के बाद 60 फीसदी राज्य ग्रिड को बेच दी जाती है।

मेरठ में नहीं होगी कटौती

मेरठ जनपद की दौराला, किनौनी, मवाना और नगलामल चीनी मिल सीजन में 120 मेगावाट बिजली उत्पादित करती हैं। प्रोत्साहन मिलने पर चारों शुगर मिलों की बिजली उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट तक बढ़ाई जा सकती है। मेरठ में बिजली आपूर्ति और मांग में करीब 200 मेगावाट का अंतर है।
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इस अंतर को ये चारों मिल आसानी से भर सकती हैं। वर्तमान में इन चारों मिलों का भी प्रदेश सरकार पर बकाया चल रहा है। मोहिउद्दीनपुर मिल में भी 15 मेगावाट का प्लांट लगा है। हालांकि यहां अभी ग्रिड की लाइन नहीं बनने से 10 मेगावाट बिजली की बिक्री नहीं हो पा रही है। शुगर मिल में केवल 5 मेगावाट बिजली यूज हो रही है।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुसार, वर्तमान में शुगर मिलों का प्रदेश सरकार पर को-जनरेशन का करोड़ों रुपया बकाया है। अगर सरकार बिजली बकाये का समय से भुगतान करे और प्लांट लगाने पर अनुदान देने के अलावा पावर स्टेशन लगाने में मदद करे, तो चीनी मिल करीब 8 हजार मेगावाट तक बिजली उत्पादित कर सकती है।

नई शुगर मिल छूट नीति से बढ़ सकता है उत्पादन

उत्तर प्रदेश सरकार ने नए शुगर मिल लगाने पर छूट नीति जारी की है। इसमें को-जनरेशन प्लांट में छूट के अलावा कोयला आधारित विद्युत प्लांट लगाने का भी विकल्प रखा गया है। इस प्लांट से सीजन के बाद भी बिजली उत्पादन किया जा सकता है।
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…हालांकि बढ़ेगा प्रदूषण
यदि मिलों को बिजली उत्पादन के लिए कोयला उपलब्ध कराया गया, तो इससे बिजली बनाने में प्रदूषण फैलेगा। हालांकि मिलों का दावा है कि ऐसे उपकरण आ गए हैं, जिनसे कोयला जलाने पर नाममात्र के लिए ही प्रदूषण फैलेगा।

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