क्या है बागेश्वर के बाबा बागनाथ जी की आस्था की गाथा, क्यों हैं इतने प्रसिद्ध…  

 रिपोर्ट- हरीश सिंह

बागेश्वर। कुमॉउ की काशी के नाम से विख्यात बाबा बागनाथ जी का मन्दिर का निर्माण 7 और 8 वी ईस्वी मे हुआ था । बाबा बागनाथ के मन्दिर का जीर्णोउदधार 1602 ई0 मे चन्द्रवंशी राजा लक्ष्मी चन्द्र के शासनकाल मे हुआ था।

बाबा बागनाथ जी
किवन्तीयो ,कथाओ और कहानियो के आधार ऋषि वशिष्ठ मुनि ने सरयूनदी को ब्रह्माजी की आज्ञा से सरमूल से सरयू को लाये । जब बाबेश्वर मे सरयू नदि पहुंची तो शिव के भक्त ऋषि मारकण्डे तपस्या मे लीन थे । वशिष्ठ मुनिके कहने पर शिव ने बाद्य का स्वरूप धारण किया । और माता पार्वती ने गायका रूप धारण किया । गाय के रम्भाने  की आवाज सुन कर ऋषि माकण्डे कीतपस्या भंग हो गयी और वो गाय को बचाने को चल दिये। जहॉ पर गाय स्म्भा रही थी । वही स्थान पर बाबा बागनाथ जी का ज्यातिलिंग है।

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महन्त गिरी जो कुमॉउ मे एक मात्र रजिस्टैट जूना अखाडा के महंन्त है इनका कहना है। की यहाँ  पर  जब  से  मेने  जूना  अखाड़ा  का  कार्य  भार  संभाल  है,  तब  से  हर  रोज  नियमित  रूप  से  सरयू माता की आरती  की  जाती  है,  नगर  के  गणमान्य  लोग  भी  आरती  मे  हिस्सा  लेते  है,

वही बागनाथ मन्दिर के प्रधान पुजारी नन्दन सिह रावल का कहना है।कि  पूजा अर्चना करने के लिये सर्वप्रथम रावल लोगो को ही बसाया गया था।

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पहले हमारे पूर्वज यहॉ पर  पुजारी थे । वर्तमान मे बागनाथ मन्दिर के और प्रदेश के के मुखिया त्रिवेन्द्र सिह रावत ने 1 करोड 20 लाख छियतर हजार रूपये की धनराशी शाशन स्तर से प्राप्त हुयी है। जल्द ही बाबा बागनाथ मन्दिर का भव्य सुन्दरता विखेरने वाला मन्दिर आपको दिखेगा ।

 

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