बजट के जरिये किसानों का वोट साध रही बीजेपी, जानें क्या है चुनावी रणनीति..
संसद में शुक्रवार को मोदी सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया। इस बजट में 12 करोड़ छोटे किसानों, 3 करोड़ मध्यमवर्गीय करदाताओं और 10 करोड़ असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इस बजट के बाद भाजपा के सांसदों के चेहरे पर मुस्कुराहट देखने को मिली जो तीन राज्यों में मिली हार के बाद से निराश थे। पिछले साल दिसंबर में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी।
5 लाख तक की आय वाले मध्यमवर्ग को टैक्स में छूट देना लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है।
वहीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत तीन किश्तों में हर साल किसानों के खातों में सीधे 6,000 रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। इससे पार्टी विपक्ष पर भारी पड़ रही है।
भाजपा के छत्तीसगढ़ से सांसद दिनेश कश्यप ने कहा, ‘बजट की घोषणाएं भाजपा के लिए वरदान साबित होंगी।’ यहां पार्टी की हार की एक बड़ी वजह किसानों की नाराजगी थी।
उन्होंने कहा, ‘इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में हमने दलितों और महिलाओं के लिए विकास के कई काम किए। लेकिन किसान नाखुश थे। बजट ने भाजपा को नया जोश दिया है और नेताओं के लिए नया उत्साह लाया है। हमें विपक्ष को हराने का नया हथियार भी मिल गया है।’
मध्यप्रदेश से पार्टी के वरिष्ठ सांसद ने कश्यप की बात को दोहराते हुए कहा, ‘किसानों के लिए किए गए उपाय नई ऊर्जा लाए हैं। इसका प्रभाव तुरंत होगा।
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जिन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ नहीं मिल रहा था या उनकी उपज की खरीद नहीं हो रही थी, उन्हें शिकायते थीं। बजट में हुई घोषणाओं ने उनका ध्यान रखा है।’ उन्होंने कहा कि भाजपा के चुनाव प्रचार में इन सभी कदमों के बारे में बताया जाएगा।
बजट में लिए गए निर्णय कृषि क्षेत्र में संकट की स्वीकारोक्ति प्रतीत होते हैं। इस मामले को विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने काफी जोर-शोर से उठाया था।
लेकिन भाजपा सरकार ने इसे खारिज कर दिया था। यहां तक कि भाजपा नेतृत्व ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों की कर्जमाफी को चुनावों के दौरान नहीं उठाया।
ऐसा लगता है कि सरकार ने अब इस बात को स्वीकार कर लिया है कि किसानों को पारिश्रमिक मूल्य नहीं मिलता है।
बजट भाषण में वैसे तो भाजपा को तीन राज्यों में मिली हार का जिक्र नहीं था। लेकिन वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने पिछले कुछ सालों में किसानों की आय में हुई कमी का उल्लेख किया और उनके खातों में सीधे पैसे हस्तांतरित किए जाएंगे।