प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में मैथिलीशरण गुप्त की पढ़ी कविता: अरे भारत उठ, आंखें खोल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में मैथिलीशरण गुप्त की एक प्रेरक कविता की कुछ लाइनें पढ़कर कोरोना काल में मिले अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत की तैयारियों का उल्लेख किया। अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है। तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल पल है अनमोल। अरे भारत! उठ, आंखें खोल..! उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में अगर कहा जाता तो ऐसे कहते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा हर बंदिश को तोड़, अरे भारत आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़। 

पढ़ें पूरी कविता.. 

अरे भारत ! उठ, आँखें खोल,
उड़कर यंत्रों से, खगोल में घूम रहा भूगोल!

अवसर तेरे लिए खड़ा है,
फिर भी तू चुपचाप पड़ा है।
तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है,
पल पल है अनमोल।
अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥

बहुत हुआ अब क्या होना है,
रहा सहा भी क्या खोना है?
तेरी मिट्टी में सोना है,
तू अपने को तोल।
अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥

दिखला कर भी अपनी माया,
अब तक जो न जगत ने पाया;
देकर वही भाव मन भाया,
जीवन की जय बोल।
अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥

तेरी ऐसी वसुन्धरा है-
जिस पर स्वयं स्वर्ग उतरा है।
अब भी भावुक भाव भरा है,
उठे कर्म-कल्लोल।
अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥

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