परमहंस आश्रम के पीठाधीश्वर मौनी बाबा ने राम मंदिर फैसले को लेकर कही ये बात

REPORT – LOKESH TRIPATHI

अमेठी – अमेठी जनपद के गौरीगंज तहसील क्षेत्र अंतर्गत बाबूगंज सगरा स्थित परमहंस आश्रम के पीठाधीश्वर स्वनामधन्य “श्री श्री 1008 शिव योगी बाल ब्रह्मचारी फलाहारी अभय चैतन्य मौनी जी महाराज” जो पिछले 30 वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर का संकल्प लेकर लगातार तमाम तरह के उपक्रम करते रहते हैं। आपको बता दें की मौनी जी महाराज सिर्फ सगरा बाबूगंज के ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत के लगभग 30 मठों के श्री महंत हैं।

पिछले 30 वर्षों में राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक 55 बार भू-समाधियां और 16 बार जल-समाधियां के साथ 1300 किलोमीटर से अधिक लेटकर परिक्रमा की है। इसी के साथ मौनी महाराज ने 400 से अधिक बार राम मंदिर निर्माण के लिए यज्ञ किया है। यही नहीं अभी हाल में ही महाराज ने एक साथ 9 लाख दीप मंदिर निर्माण के लिए जलाए थे। आज जब उनके द्वारा किए गए तमाम तरह के अनुष्ठानों का प्रतिफल सामने देखने को मिला तो वह खुशी से झूम उठे और अपनी प्रतिक्रिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दिया।

अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार जैसे हर भारतीय नागरिक था । ठीक वैसे ही इस मुद्दे पर जनता के साथ-साथ संत समाज भी काफी उत्सुकता रही और अब जब इस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुना दिया गया है। तो ऐसे में अमेठी जनपद के सगरा बाबूगंज स्थित परमहंस आश्रम के पीठाधीश्वर अभय चैतन्य मौनी जी महाराज ने बताया कि- देखिए राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया हुआ है । यह भारतवर्ष के संविधान की जीत है। भारत के बुद्धिजीवियों की जीत है। भारत में कानून के जानकार लोगों की जीत है और न्याय की जीत है, सत्य की जीत है।

यह किसी जाति और किसी धर्म के पक्ष का निर्णय नहीं है। मैं तो यह मानता हूं कि सुप्रीम कोर्ट जिस तरीके से यह न्याय किया है । इससे सीख मिली है कि – केवल न्याय को न्याय मिला है। सत्य को सत्य मिला है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के इस न्याय की मैं बहुत बहुत प्रशंसा करता हूं ।

इससे भी बड़े न्याय की भविष्य अपेक्षा करता हूं । जितने भी बड़े मामले होंगे । सुप्रीम कोर्ट सभी में निष्पक्ष निर्णय करके भारत के संविधान के गौरव को और मजबूत करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने “सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित् दुख भाग भवेत् ।।” को सिद्ध कर दिया । उन्होंने सबको सबकी आस्था का ध्यान रखा है। मुस्लिम को भी इस देश में रहने का अधिकार है। वह भी अपने देवता की, अपने भगवान की, अपने अल्लाह की पूजा कर सकते हैं। इसलिए उनके लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यवस्था बनाई है ।

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उनको व्यवस्था दी जाए सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश भी निश्चित रूप से बहुत ही आदरणीय है । मैं सुप्रीम कोर्ट को बहुत ही शुभकामना देता हूं। कि ऐसा ही आदरणीय निर्णय करके एक हिंसा समाज में पैदा करने की सोच रखने वाले जो लोग थे। उनको ठोकर लगा है । अहिंसा वादी निर्णय किया है निश्चित रूप से यह निर्णय बहुत-बहुत आदरणीय है । आगे भी ऐसे निर्णय की कामना है।

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