नौकरानी के ब्राह्मण न होने पर वैज्ञानिक ने दर्ज कराया मुकदमा, बचाव में उतरे…
नई दिल्ली। हम लोग जहां 21वीं सदीं के भारत में रह रहे हैं। वहीँ आज भी ऐसे कई लोग हैं, जोकि अपनी तुच्छ मानसिकता को दूर करने से कोसों दूर खड़े दिखाई देते हैं और आज भी छुआछूत जैसे भेदभाव को मानते हैं। भारत के मौसम विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक मेधा खोले ने अपने घर में काम कर रही 80 वर्षीय निर्मला यादव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला इस वजह से दर्ज कराया क्योंकि वो ब्राह्मण नहीं हैं।
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उन्होंने निर्मला पर आरोप लगाया है कि, ‘उसने अपनी वैवाहिक स्थिति और जाति छुपा कर उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है’।
खोले के मुताबिक, ‘उन्हें धार्मिक अवसरों पर अपने घर में खाना पकाने के लिए एक विवाहित ब्राह्मण महिला की जरूरत थी, लेकिन निर्मला ने अपनी जाति और वैवाहिक स्थिति छिपाकर खुद को निर्मला कुलकर्णी बताया’।
बता दें यह महिला उनके घर 2016 से हर खास आयोजन पर खाना बनाने के लिए आती थीं।
बकौल खोले गणेश उत्सव के दौरान महिला के ‘ब्राह्मण’ न होने की जानकारी मिली।
ख़बरों के मुताबिक इसके बाद खोले स्पष्टीकरण मांगने के लिए महिला के घर गई। तो वहां जाकर उन्हें पता चला कि निर्मला कुलकर्णी नहीं बल्कि ‘यादव’ और विधवा हैं।
वहीँ खोले ने दावा किया है कि, ‘यादव ने उनके साथ हाथापाई भी की है’।
इसके बाद मेधा खोले ने धोखाधड़ी और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के कारण उन पर केस दर्ज करवाया है’।
ख़बरों के मुताबिक पुणे के शिवाजीनगर के सीता पार्क सोसायटी में मेधा खोले रहती है। वहीँ निर्मला यादव को धार्मिक सोवला नामक विधि के लिए रसोइया के तौर बुलाया गया था। इस विधि में खाना पकाने वाली महिला का ब्राह्मण और विवाहित होना जरूरी होता है।
बता दें सिंहगढ़ पुलिस ने इस मामले को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 352 (हमला), 419 (आचरण द्वारा धोखाधड़ी), और 504 (शांति के उल्लंघन द्वारा किया गया जानबूझकर अपमान) के तहत शिकायत दर्ज कर ली है।
इसके अलावा अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ ने इस मामले को कानून के दायरे में लाने को सही नहीं माना और कहा है कि इस मुद्दे को आपस में ही सुलझा लेना चाहिए।
इस मामले को लेकर संभाजी ब्रिगेड के सदस्यों ने शुक्रवार को संयुक्त पुलिस आयुक्त रवींद्र कदम से मुलाकात की है। इसमें सदस्यों की तरफ से कहा गया कि, ‘कथित तौर पर जातिवाद को बढ़ावा देने के लिए खोले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए’।
इसके अलावा बजरंग दल के संपत चरवाना के मुताबिक, ‘हमने यादव से मुलाकात की है और हम मांग करते हैं कि मेधा खोले को माफी मांगनी चाहिए और अपनी शिकायत वापस लेनी चाहिए।’
इसके अलावा संभाजी ब्रिगेड के संतोष शिंदे ने कहा, ‘इस मामले को इकलौते रूप में न देखें, क्योंकि इसने सामाज पर गहरा प्रभाव डाला है।’
उन्होंने कहा है कि, ‘यह मामला उस व्यक्ति द्वारा दायर किया गया है जोकि खुद वैज्ञानिक हैं और सरकार के प्रमुख विभाग में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, इससे शिकायतकर्ता की जातिवादी मानसिकता जगजाहिर होती है’।