नीतीश के इस्तीफे का खेल… झटके में बदले सभी समीकरण, कयासों के बीच बनती-बिगड़ती संभावनाएं
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद बिहार कि राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया। राजनीति के दांव-पेंच में टाइमिंग का गज़ब खेल होता है। एक अच्छा राजनीतिज्ञ पूर्वानुमान का बड़ा खिलाडी होता है। कुछ दिनों से बिहार की राजनीति पर हर किसी की नज़र थी। वजह।। सीबीआई के छापे से शुरू हुई और अंत हुआ राजनीतिक घामासान पर। लोगों का कयास उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के इस्तीफे का था, पर इसके उलट साफ़ छवि को चमकाने का खेल मुख्यमंत्री खुद खेल गए।
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बीजेपी-जदयू समीकरण
(243 सदस्यीय विधानसभा) से साफ़ हो रहा है कि नीतीश कुमार फिरसे सूबे के मुख्यमंत्री बनेंगें। वजह जहां बीजेपी के खाते में 53 सीटें हैं और उनकी सहयोगी पार्टी एलजेपी और आरएलएसपी के दो-दो विधायक और जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ का एक विधायक मिलाकर आंकड़ा 58 सीटों का हो जाता है। वहीँ नीतीश कुमार की पार्टी के पास 71 सीटें है, जिससे दोनों को मिलकर सरकार बनाने में कोई दिक्कत होती नही दिख रही है।
राजद-कांगेस समीकरण
यहां भी गजब के आसार हैं। वजह लालू की पार्टी 80 सीटों के साथ सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी थी। 20 महीने पुराना गठबंधन टूटने के बाद अब लालू के पास 80 सीटें और नीतीश की पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव, जोकि हमेशा बीजेपी विरोधी गठबंधन में हामी भरते रहे हैं। इससे नीतीश की पार्टी के कुछ विधायकों की टूटने की सम्भावना की जा सकती है। इसके बाद समीकरण कुछ इस तरह दिख रहा है।
लालू की पार्टी, जेडीयू के बागियों, कांग्रेस के 27, सीपीआई-एलएमके 4 और निर्दलीय 4 विधायकों के साथ सरकार बनाने का दावा ठोंक सकती है।
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राष्ट्रपति शासन की संभावना
नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर ‘सुशासन बाबू’ की छवि में और चमक ला दी है। इसके चलते वह अपनी छवि को निखारने के चक्कर में चुनाव आयोग में जाने का दावा कर सकते हैं।
इससे वह न ही एक बड़े नेता बनकर उभरेंगे बल्कि पार्टी को और विस्तार दिलाने में भी सफल साबित हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो सकता है।
इन सबके बीच अलग-अलग पार्टियों के प्रवक्ता व नेता अपनी बात रख रहे हैं। एक ओर जहां नीतीश कुमार का कहना था कि ‘मैंने अंतर्रात्मा की आवाज़ सुनी’, वहीँ लालू ये कहते नज़र आये कि नीतीश कुमार तो ‘हत्या के आरोपी’ है, वो 302 के आरोपी है। बता दें ये सब इस्तीफे के ठीक बाद प्रेस कांफ्रेंस के ज़रिये बोला गया।
बीजेपी केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश नड्डा ने कहा कि ‘मध्यावधि चुनाव नहीं होंगे’। वहीं इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट ने आग में घी डालने का काम कर दिया।
उन्होंने न केवल नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बधाई दी। साथ ही उनके इस कदम की दिल से सराहना की।
दूसरे ट्वीट में पीएम ने लिखा, ‘देश में, विशेष रूप से बिहार के उज्जवल भविष्य के राजनीतिक से ऊपर उठकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक होकर लड़ना होगा, आज देश और समय की यही मांग है’।
वहीं इसके इतर भाजपा ने इस बात को भी साफ़ कर दिया कि पार्टी नीतीश के इस कदम का खुले तौर पर समर्थन करती है और बिना किसी शर्त के उनका साथ देगी।
देखें वीडियो :-
https://youtu.be/laB0oAbGPMk