कभी सुर्खियों में रहने वाला आज बेघर होकर डर के साये में जी रहा है मेसी का ये नन्हा प्रशंसक

काबुल। अर्जेटीना के स्टार लियोनेस मेसी की प्लास्टिक की जर्सी पहनकर फुटबाल खेलने वाले नन्हे मुर्तजा अहमादी ने 2016 में एक फोटो के जरिए रातोंरात सुर्खियां बटोर ली थीं लेकिन अब यह नन्हा प्रशंसक बेघर हो गया है। अफगानिस्तान के गाजी प्रांत के जाघोरी जिले में रहने वाले मुर्तजा के इलाके पर तालिबान द्वारा हमला किया गया और इस कारण दो-तिहाई जनता को बेघर होना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि मुर्तजा की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें उसे मेसी की अर्जेंटीना टीम की 10 नम्बर की जर्सी पहने हुए देखा गया था, जो उसके बड़े भाई ने प्लास्टिक की पन्नी से बनाई थी।

मुर्तजा की इस फोटो ने इतनी सुर्खियां बटोरी की खुद मेसी ने इस नन्हे प्रशंसक से मिलने का मन बनाया और उसे अपनी एक जर्सी भी भेंट की लेकिन आज मुर्तजा बेघर हो गया है।

सात साल के मुर्तजा को अपने परिवार के साथ अपना ही घर छोड़कर तब भागना पड़ गया, जब उसके इलाके में तालिबान द्वारा हमला किया गया।

समाचार एजेंसी एफे की रिपोर्ट के अनुसार, मुर्तजा का परिवार पिछले दो सप्ताह से काबुल में रह रहा है। मुर्तजा ने कहा, “मुझे जाघोरी में अपने घर की याद आती है। यहां मेरे पास फुटबाल भी नहीं है। मैं खेल नहीं सकता और बाहर नहीं जा सकता।”

बार्सिलोना के स्टार मेसी को दिए एक संदेश में मुर्तजा ने कहा, “मुझे अपने साथ ले जाइए। मैं यहां फुटबाल नहीं खेल सकता। यहां सिर्फ बंदूकों और धमाकों की आवाज है।”

मुर्तजा अपने परिवार के साथ एक छोटे से किराए के घर में रहता है। उनके इस घर में उनके पड़ोसी भी साथ रहते हैं। बातचीत के दौरान मुर्तजा से जब मेसी की ओर से मिली जर्सी और फुटबाल के बारे में पूछा गया, तो वह भावुक हो गया।

मुर्तजा ने कहा, “हम उन्हें जाघोरी में पीछे छोड़ आए। मैं उन्हें साथ नहीं ला पाया, क्योंकि मुझे आधी रात में अपना घर छोड़ना पड़ा। मेरी मां ने मुझे कहा कि जर्सी और फुटबाल को घर में ही छोड़ दो।”

अफगानिस्तान के सुरक्षाबलों ने तालिबानी विद्रोहियों को जाघोरी से निकाल दिया है, लेकिन मुर्तजा का परिवार अब लौटना नहीं चाहता। उन्हें मुर्तजा के सुर्खियां बटोरने के कारण हमले से पहले भी फोन पर धमकियां मिल रहीं थी।

मुर्तजा के बड़े भाई हुमांयू अहमादी (17) ने एजेंसी से कहा, “कतर में मेसी से मुर्तजा की मुलाकात से लौटने के बाद हमारे लिए जीना मुश्किल हो गया। हम डर में रह रहे थे, क्योंकि हमारे आसपास के लोगों को लगता था कि मेसी ने हमें काफी धन दिया है।”

हुमांयू ने कहा कि अनजान लोग उनके घर के आसपास घूम रहे थे। उन्हें अपहरण और अन्य प्रकार के हमले का डर था। ऐसे में मुर्तजा को पिछले दो साल से स्कूल भी नहीं जाने दिया गया और घर पर ही बंद रखा गया।

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मुर्तजा का परिवार मई, 2016 में अमेरिका में शरण मिलने की आस में पाकिस्तान चला गया था लेकिन उनकी शरण की अपील रद्द कर दी गई और उन्हें अपने गांव लौटना पड़ा।

दो साल बाद भी मुर्तजा उस वादे को नहीं भूला है, जो मेसी ने कतर में मुलाकात के दौरान उससे किया था। मेसी ने कहा था कि थोड़ा बड़ा हो जाने के बाद वह उसके लिए सभी चीजों का इंतजाम करेंगे लेकिन मेसी ने उसके बाद एक भी बार उससे बात नहीं की।

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सात वर्षीय मुर्तजा की मां शफीका ने एजेंसी से कहा, “जब भी मुर्तजा धमाके या गोलीबारी की आवाज सुनता है, तो डर के मारे दौड़कर चादर के अंदर घुस जाता है।”

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