महाराष्ट्र में मराठाओं की मांग पूरी, अब मिलेगा इतने फीसदी आरक्षण

मुंबई। महाराष्ट्र की विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति से राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय को ‘छत्रपति शिवाजी महाराज की जय’ के नारे के बीच शिक्षा और नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया।

देवेंद्र फडणवीस

इससे पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठाओं की काफी समय से लंबित मांग पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों पर कार्यवाही रिपोर्ट (एटीआर) पेश करते हुए कहा कि सरकार ने एक नई सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा है।

यह विधेयक बिना किसी चर्चा के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया, जो चुनावी साल में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धि को अंकित करता है।

फडणवीस ने कहा कि आगामी 2019 लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले इस आरक्षण को लागू करने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी।

उन्होंने कहा कि हालांकि धंगार समुदाय के आरक्षण की रिपोर्ट अभी पूरी नहीं हुई है, जिसके लिए उपसमिति का गठन किया गया है और उसकी कार्यवाही रिपोर्ट सदन में जल्द प्रस्तुत की जाएगी।

कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और अन्य दलों के नेताओं ने इसे ‘मराठाओं के लिए ऐतिहासिक दिन’ करार देते हुए बधाई दी है, जिनकी आबादी राज्य में 30 फीसदी है।

उधर आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन कर रहे मराठा नेता और कार्यकर्ताओं ने विधेयक के पारित होने का स्वागत किया और शिवाजी और ‘जय मराठा’ के नारे लगाए और नृत्य किया तथा मिठाइयां बांटी।

विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे-पाटिल और विधानसभा में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने इसका स्वागत किया और ‘इसे मराठा समुदाय के लिए जीत’ करार दिया।

चूंकि मराठा आरक्षण नई एसईबीसी श्रेणी के तहत दी जाएगी, इसलिए इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य पिछड़ा वर्ग (एससी/एसटी/ओबीसीज) को दिए जाने वाला आरक्षण प्रभावित नहीं होगा।

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एटीआर में कहा गया है कि मराठा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग है, जोकि शैक्षणिक और सरकारी नौकरियों में पर्याप्त आरक्षण नहीं मिलने के कारण है।

इसी के अनुसार, वे संविधान के अनुच्छेद 15(40 और 16(4) के तहत आरक्षण का लाभ पाने के हकदार हैं और सरकार उन्हें आरक्षण देने के लिए उचित कदम उठा सकती है।

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पिछली कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने भी इसकी प्रकार से 16 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव दिया था, जिस पर बंबई उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी।

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