दिल्ली विधानसभा चुनाव: कौन होगा सीएम पद का दावेदार!

दिल्ली। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर पार्टी में बेहद उत्सुकता है। इन सवालों का जवाब जल्द ही मिलेगा। पार्टी आम लोगों की राय लेकर यह तय करेगी कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में चेहरा और मुद्दे की क्या रणनीति होगी।

दिल्ली विधानसभा

भारतीय जनता पार्टी यह सर्वे करा रही है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री के चेहरा पेश करके चुनाव लड़े या अन्य राज्यों की तरह प्रदेश नेतृत्व को कमान सौंप कर।

दरअसल पार्टी का एक धड़ा यह मानकर चल रहा है कि राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाए। राष्ट्रवाद के नाम पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग भाजपा के पक्ष में मतदान कर रहे हैं।

हरियाणा व महाराष्ट्र चुनाव में भी पार्टी मानकर चल रही है कि अनुच्छेद 370 हटाने का फायदा पार्टी को मिल रहा है। पार्टी का यह भी मानना है कि विपक्षी पार्टी के किसी नेता का कद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के सामने नहीं टिकता।

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पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में मोदी लहर और राष्ट्रीय मुद्दा ही हावी रहा। हालांकि पार्टी के एक धड़े के मानना है कि अगर स्थानीय मुद्दे को दरकिनार किया गया तो पार्टी को नुकसान भी हो सकता है। क्योंकि दिल्ली सरकार लगातार जनहित से जुड़ीं घोषणाएं कर वोटरों की लामबंदी में जुटी है। लिहाजा राष्ट्रीय मुद्दे के साथ ही स्थानीय मुद्दे पर भी चुनाव में जाना चाहिए।

मनोज तिवारी के नेतृत्व में नहीं हारे एक भी चुनाव 

रणनीतिकारों की माने तो प्रदेश भाजपा को जब से पूर्वांचली नेतृत्व मिला है, तब से किसी भी चुनाव में पार्टी को हार नहीं मिली है। ऐसे में जब चुनाव काफी करीब है तो नया फैसला लेना ठीक नहीं है।

बीते विधानसभा चुनाव में अचानक से पार्टी ने किरण बेदी को मुख्यमंत्री का चेहरा पेश किया था। इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा था। इसी तरह 2014 के चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल थे, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. हर्षवर्धन को पेश किया गया। इसका भी बहुत अधिक फायदा नहीं मिला।

सर्वे के बाद संसदीय बोर्ड तय करेगा नाम: जाजू

प्रदेश भाजपा प्रभारी श्याम जाजू ने बताया कि मुख्यमंत्री का चेहरा पेश किया जाए या नहीं इसे लेकर सर्वे चल रहा है। हरियाणा, महाराष्ट्र का चुनाव खत्म हो गया है अब दिल्ली पर फोकस करेंगे। देखेंगे कि पार्टी का कैडर व जनता क्या चाहती है।

मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा सर्वे के बाद संसदीय बोर्ड तय करेगा। क्योंकि भाजपा ना तो आप की तरह व्यक्तिवादी पार्टी है और न ही कांग्रेस की तरह परिवारवादी।

 

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