जानें क्या है खारे पानी वाली लूनी नदी का भयानक रहस्य, क्या छिपे हैं टोने-टोटके के राज?

राजस्थान के रेगिस्तानों के बारे में हमने बहुत कुछ सुना है और देखा भी है । ये रेगिस्तान इतने गर्म और शुष्क होते हैं कि कोई भी यहां 5 मिनट से ज़्यादा टिक ही नहीं सकता। रेगिस्तान दिन में जितने गर्म होते हैं, रात में उतने ही ठंडे। दिन में रेत सूरज की गर्मी से किसी भट्टी की तरह तप रही होती है। बीयाबान रेगिस्तान में इंसान तो बहुत दूर की बात, सांप और बिच्छु भी अपने बिलों से बाहर नहीं निकलते। तो अब सोचिए ऐसे रेगिस्तान में जहां जीवन भी करीब-करीब नामुमकिन है, आपको कोई कहे कि उस रेगिस्तान में नदी है, तो क्या आप मानेंगे, नहीं ना? लेकिन ये सच है। जी हां, चिलचिलाती धूप में राजस्थान के रेगिस्तान में है एक नदी। और ये नदी किसी आम नदी की तरह नहीं है, बल्कि भारत की इकलौती खारी नदी है। इतना ही नहीं, इस नदी का पानी किसी समुद्र में भी जाकर नहीं मिलता। लूनी नदी के खारे पानी का कारण क्या है और किन इलाकों से ये नदी होकर गुज़रती है, आइये जानते हैं।

टोने-टोटके के राज

क्यों है लूनी नदी का पानी खारा?

लूनी नदी राजस्थान में अजमेर की अरावली पर्वत से बहती है। नदी जहां से शुरु होती है उसकी कुछ दूरी तक इसे सागरमति या सरस्वती कहते हैं। इस नदी को बाकी नदियों से जो बात अलग बनाती है वो ये कि इसका पानी खारा है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि लूनी नदी का पानी शुरुआत से खारा नहीं होता। दरअसल इस नदी का पानी बालोतरा शहर पहुंचने से पहले मीठा होता है लेकिन जैसे ही इसका पानी बालोतरा पहुंचा, नदी का पानी खारा होने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बालोतरा के बाद जिन रास्तों से होकर ये नदी गुज़रती है, उन रास्तों की मिट्टी में नमक की बहुत अधिक मात्रा है जिसके कारण नदी का पानी भी खारा हो जाता है।

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कहां-कहां से होकर गुज़रती है लूनी नदी?

राजस्थान की लूनी नदी अजमेर के पास अरावली पर्वत से शुरु होती है। यहां ये सरस्वती नदी के नाम से जानी जाती है। ये नदी दक्षिण पश्चिम से होते हुए थार रेगिस्तान में भी बहती है। पुष्कर घाटी से शुरु होकर मारवाड़ से होते हुए ये नदी दक्षिण पश्चिम की दिशा में कई क्षेत्रों से होकर कच्छ में लुप्त हो जाती है। तो चलिए अब ज़रा आपको ले चलते हैं उन रास्तों पर जहां लूनी नदी बहती है।

पुष्कर

अजमेर के पास पुष्कर घाटी से लूनी नदी का जन्म होता है। पुष्कर राजस्थान का एक विख्यात तीर्थ स्थल है। यहां हर साल बहुत से पर्यटक तीर्थ यात्रा पर आते हैं। जगतपिता ब्रह्मा मंदिर और सावित्री मंदिर यहां के बहुत प्रसिद्ध मंदिर हैं। वैसे तो देश के बहुत से मंदिरों में भगवान ब्रह्मा की पूजा होती है लेकिन जगतपिता ब्रह्मा मंदिर ही इकलौता ऐसा मंदिर हैं जो भगवान ब्रह्मा को पूरी तरह समर्पित है। यही कारण है कि ये मंदिर पर्यटकों से हमेशा भरा रहता है।

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