झूठे साबित हो रहे प्रशासन के बाढ़ नियंत्रण के दावे, गाँवों में बढ़ी लोगों की मुश्किलें

REPORT- दिलीप कटियार/FARRUKHABAD

जिले में बाढ़ से निपटने के लिए अधिकारी अपने दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में उनके दावे खोखले हैं।

जब मिडिया की टीम बाढ़ के क्षेत्र  की हकीकत जानने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे, तो वहां पर अभी तक कोई भी अधिकारी नही पहुंचा।

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राजेपुर रामपुर, जोगराजपुर, आशा की मड़ैया, कंचनपुर, उदयपुर, तीसराम की मड़ैया, हरसिंहपुर कायस्थ, ऊगरपुर, धनी नगला, करनपुरघाट आदि गांव भी बाढ़ के पानी से घिरे हैं।

आवागमन के लिए नाव का ही सहारा है।  गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से बाढ़ के पानी से घिरे गांवों में मुसीबतें भी बढ़ती जा रही हैं।

रास्तों पर पानी की तेज धार बहने से आवागमन ठप हो गया है। इससे खुद के भोजन के साथ पालतू पशुओं के चारे की भी दिक्कत है।

जिन गांवों में नाव का इंतजाम नहीं है, वहां के मरीजों का इलाज सबसे बड़ी समस्या है। बच्चों की पढ़ाई तो पूरी तरह चौपट हो रही है।

गंगा का जलस्तर 10 सेमी बढ़कर खतरे के निशान की ओर चल दिया है। वही ग्रामीणों ने प्रशासन के सारे दावों को हवा हवाई बताया है ।

आज गंगा में नरौरा बांध से 59 हजार 555 क्यूसेक, जबकि रामगंगा में खो हरेली रामनगर से 13 हजार 722 क्यूसेक और पानी छोड़ा गया है। इससे जलस्तर और बढ़ने के साथ बाढ़ से घिरे गांवों में दिक्कतें भी बढ़ना तय है।

जनपद में सर्वाधिक राजेपुर व शमसाबाद ब्लाक क्षेत्र के गांव बाढ़ से ग्रसित हैं। अमृतपुर क्षेत्र के सर्वाधिक करीब तीन दर्जन गांव गंगा की बाढ़ से घिरे हैं।

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तीसराम की मड़ैया व बंगला की मड़ैया जाने वाले रास्ते भी तेज धार से तीन फीट पानी बहने से कट चुके हैं। पुलिया के निकट डाली गई मिट्टी भी बह गई।

वही बाढ़ के पानी से घिरे गांव हरसिंह कायस्थ व ऊगरपुर के करीब तीन दर्जन घरों में भी पानी घुस चुका है।

इससे ग्रामीणों ने छतों पर पालिथीन तानकर आशियाना बनाया है। वहीं झोपड़ी व कच्चे मकान में गुजर करने वाले ग्रामीणों ने ऊंचे स्थानों पर गृहस्थी पहुंचाकर गांव से पलायन शुरू कर दिया है।

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