जिस जेपीसी के गठन को लेकर कांग्रेस ने हंगामा मचा रखा है उसके पीछे का ये है सच

नई दिल्ली। राफेल मामले पर सूप्रीम कोर्ट ने सारी याचिकाओं को खारिज कर दिया इसके बाद से लगातार पक्ष-विपक्ष में काफी खींचातानी देखने को मिली। कभीं बीजेपी अध्यक्ष की ओर से तो कभी कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कांग्रेस अपनी जेपीसी गठन की मांग पर कायम है।

कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार से मांग रही है कि वो जेपीसी का गठन करे और मामले की जांच कराए। लेकिन सरकार इसके गठन के लिए तैयार नहीं हैं। उसका कहना है कि वह इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा के लिए तैयार है।

जेपीसी मतबल संयुक्त संसदीय समिति वह समिति होती है जिसमें सभी दल शामिल होते हैं। जेपीसी के पास अधिकार होता है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष से पूछताछ कर सकती है, जिसको लेकर उसका गठन हुआ है।

अगर वह व्यक्ति, संस्था या पक्ष जेपीसी के समक्ष पेश नहीं होता है तो यह संसद की अवमानना का उल्लघंन माना जाएगा, जिसके बाद जेपीसी संबंधित व्यक्ति या संस्था से इस बाबत लिखित या मौखिक जवाब या फिर दोनों मांग सकती है।

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जानकारी के मुताबिक, इस समिति में अधिकतम 30-31 सदस्य हो सकते हैं, जिसका चेयरमैन बहुमत वाली पार्टी के सदस्य को बनाया जाता है। इसके अलावा समिति में सदस्यों की संख्या भी बहुमत वाली पार्टी की अधिक होती है। किसी भी मामले की जांच के लिए समिति के पास अधिकतम 3 महीने की समयसीमा होती है। इसके बाद संसद के समक्ष उसे अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी होती है।

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पिछले कई दिनों से राफेल को लेकर विपक्षी दल जेपीसी के गठन की मांग कर रहे हैं। जिसे लेकर संसद का शीतकालीन सत्र सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है। अब सवाल ये उठ रहे हैं कि अगर सरकार का राफेल को लेकर पक्ष बेदाग है तो वो जेपीसी के गठन से क्यों पीछे हट रही है?

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