जानें प्रदोष व्रत के दिन क्यों की जाती है शिव की आराधना

भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे बड़ा दिन होता है प्रदोष व्रत। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन से सारे संकटों का नाश हो जाता है और उसके पूरे परिवार पर शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।

 शिव की आराधना

यह व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों की त्रयोदशी के दिन किया जाता है। प्रदोष व्रत वैसे तो किसी भी वार के दिन आए शुभ होता है लेकिन कुछ विशेष वारों के साथ आने पर यह अधिक शुभ फलदायी हो जाता है। इनमें सोमवार को आने वाले सोम प्रदोष, मंगलवार को आने वाले भौम प्रदोष और शनिवार को आने वाले शनि प्रदोष का अधिक महत्व होता है।
कैसे की जाती है प्रदोष व्रत की पूजा
जैसा कि नाम से ज्ञात है प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोषकाल में की जाती है। सूर्यास्त से लगभग एक घंटा पहले का समय प्रदोषकाल कहलाता है। इसमें स्नान करके पवित्र श्वेत वस्त्र धारण करके पूजा स्थान में उत्तर-पूर्व की ओर मुंह करके बैठें। अपने आसपास गंगाजल छिड़ककर स्थान को पवित्र कर लें।

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इसके बाद संभव हो तो गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार करें। इसमें पांच रंगों से रंगोली बनाएं। भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय शिव महिम्नस्तोत्र का पाठ करें या केवल ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। अभिषेक के बाद विधिवत पूजन कर मिठाई, फलों का नैवेद्य लगाएं। यह व्रत 26 प्रदोष करने पर पूर्ण होता है। इसके बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
प्रदोष व्रत के लाभ
– प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त की जा सकती है। इससे जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं रह जाता है।
– आर्थिक संकटों का समाधान करने के लिए प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।
– प्रदोष व्रत के प्रभाव से हर तरह के रोग दूर हो जाते हैं। बीमारियों पर होने वाले खर्च में कमी आती है।
– अविवाहित युवक-युवतियों को प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे उन्हें योग्य वर-वधू की प्राप्ति होती है।
– भगवान शिव ज्ञान और मोक्ष के दाता है। अध्यात्म की राह पर चलने की चाह रखने वालों को प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।

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