जानिए हसन रूहानी ने राष्ट्रपति ट्रंप के बारे में कही चौकाने वाली बात…

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनेई पर अमेरिका के प्रतिबंधों पर पलटवार किया है। रूहानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को ‘मानसिक रूप से कमजोर’ बताया है।

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बतादें की रूहानी ने मंगलवार को कहा, ‘अमेरिकी प्रतिबंध का खामनेई पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनकी विदेश में कोई संपत्ति नहीं है। खामनेई और विदेश मंत्री जवाद जारिफ समेत अन्य अधिकारियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना ट्रंप की हताशा का संकेत है। अमेरिकी राष्ट्रपति की कार्रवाई का मतलब है कि वह मानसिक रूप से कमजोर हैं। तेहरान के रणनीतिक धैर्य का मतलब यह नहीं है कि हम डरे हुए हैं।

 

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रूहानी ने कहा कि देश के सुप्रीम लीडर समेत अन्य नेताओं पर प्रतिबंध यह दिखाता है कि अमेरिका बातचीत का ढोंग रच रहा है। वाशिंगटन बातचीत करने की पेशकश के बारे में ‘झूठ’ बोल रहा है।

लेकिन ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने कहा कि हमारे सर्वोच्च नेता खामनेई और अन्य पर प्रतिबंध लगाने से कूटनीति का रास्ता स्थायी रूप से बंद हो गया है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने मंगलवार को कहा कि वाशिंगटन के साथ वार्ता की पेशकश पर ईरान गहरी चुप्पी बनाए हुए है। येरुशलम में बोल्टन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने वार्ता के लिए दरवाजे खुले रखे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ईरान ने मध्य एशिया में अमेरिकी नागरिकों और संपत्ति पर हमले किए। इतना ही नहीं, ईरान परमाणु हथियार हासिल करने का प्रयास कर रहा है।
दरअसल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फारस की खाड़ी में अमेरिका और ईरान से अधिकतम संयम बरतने को कहा है। सुरक्षा परिषद ने दोनों पक्षों से तनाव कम करने की दिशा में कदम उठाने की अपील की है।
और फारस की खाड़ी में तेल टैंकरों पर हुए हमले की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र की शांति प्रमुख रोजमैरी डिकार्लो ने कहा कि यह (हमला) समुद्री नौवहन और ऊर्जा आपूर्ति के गंभीर खतरे को दर्शाता है।
डिकार्लो ने कहा कि अमेरिका और ईरान को बातचीत के जरिए इस मसले का हल निकलना चाहिए। अमेरिका ने इन हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि ईरान ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया है।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत माजिद तख्त रवांची ने मौजूदा स्थिति को ‘अत्यधिक खतरनाक’ बताते हुए कहा कि अमेरिका को खाड़ी क्षेत्र में अपने सैन्य दुस्साहस को रोककर तनाव को कम करना चाहिए।

रवांची ने कहा, ‘अमेरिका को ईरान की जनता के खिलाफ आर्थिक युद्ध की नीति त्याग देनी चाहिए। मौजूदा स्थिति में अमेरिका और ईरान के बीच बातचीत नामुमकिन है। ऐसे में जब आपको कोई डरा और धमका रहा हो तो आप बातचीत की शुरुआत कैसे कर सकते हैं।’ पिछले सप्ताह ईरान ने अमेरिका के जासूसी ड्रोन को मार गिराया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है।

 

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