जानिए आज के दिन मनाया जाता हैं World Press Freedom Day , इन पत्रकारों के बारे में कुछ ख़ास बातें …

नई दिल्ली: हर साल 3 मई के दिन अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस ( World Press Freedom Day) मनाया जाता है। वहीं साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की तरफ से ये तय किया गया कि प्रेस की आजादी के बारे में हर साल विश्व में 3 मई को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा।

 

प्रेस फ्रीडम डे

 

 

बता दें की पत्रकार की नौकरी कोई आसान नौकरी नहीं होती। ये बात इस बात से ही साबित होती है कि कई पत्रकारों को अपनी नौकरी के दौरान अपनी जान की बाजी लगानी पड़ी है।

 

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लेकिन इन पत्रकारों के इस त्याग को देश कभी नहीं भूला पाएगा। चलिए जानते हैं उन पत्रकारों के बारे में जिन्होंने खबरों के लिए और लोगों तक सच पहुंचाने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी।

 

दरअसल साल 2015 में मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले की कवरजे करने गए अक्षय सिंह की संदिग्ध परिस्थतियों में मौत हो गई थी। वहीं 13 मई 2016 को सीवान में रहने वाले पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

 

वहीं जिस वक्त रंजन ऑफिस से वापिस आ रहे थे उस समय उन्हें किसी ने गोली मार दी। वरिष्ठ पत्रकार एमवीएन शंकर आंध्र प्रदेश में लगातार तेल माफिया के खिलाफ लगातार खबरें लिख रहे थे, जो कि तेल माफियाओं को अच्छा नहीं लगा।

 

लेकिन इसके बाद उनकी 26 नवंबर 2014 को हत्या कर दी गई। वहीं राजेश मिश्रा नाम के रिपोर्टर ने लोकल स्कूल में हो रही धांधली को उजागर किया था, इसके लिए 1 मार्च 2012 को कुछ लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी।

 

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की रिरसा में हत्या कर दी गई थी। उन्होंने राम रहीम के डेरे मे चलने वाले गलत कामों की पोल खोल थी।

 

लेकिन 21 नवंबर 2002 को उनके दफ्तर में घुसकर कुछ लोगों ने उनको गोलियों से भून डाला। चर्चित पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर में उनके घर पर अज्ञात बंदूकधारियों ने 5 सिंतबर 2017 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।

 

देखा जाये तो वहीं नजर अगर विश्व में दौड़ाए तो सबसे बड़ी घटना फ्रांस की नजर आती है। जहां फ्रांस की राजधानी पेरिस में व्यंग्स पत्रिका ‘शार्ली हेब्दो’ पर हमला हुआ।

 

7 जनवरी 2015 को हजरत मोहम्मद साहब का विवादित कार्टून छापे जाने के विरोध में आतंकियों ने पत्रिका के कार्यालय पर हमला किया था। इस हमले और इससे जुड़ी अगले तीन दिनों तक हुई अन्य घटनाओं में कुल 16 लोगों की जान गई थी। पत्रकार बंद समाजों, या बुरी चीजों पर रोशनी डालकर खुद की जान को जोखिम में डालने काम काम करते हैं।

 

 

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