जानिए आखिर क्यों जी-20 समूह को दुनिया के लिए माना जाता है महत्वपूर्ण मंच…

ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (Group of Twenty) या G20, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय एजेंडा के सबसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग हेतु प्रमुख मंच है। यह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ एक मंच पर लाता है। जी20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।

 

G - २०

बतादें की जी20 के सम्मेलनों में संयुक्त राष्ट्र (United Nation), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक भी भाग लेते हैं। ये सभी सदस्य मिल कर दुनिया की जीडीपी का 85 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। इसके अलावा इन देशों का वैश्विक व्यापार में हिस्सा भी अस्सी फीसदी है और दुनिया की दो तिहाई आबादी यहीं रहती है।

जानिए इसकी स्थापना का उद्देश्य –

  • एक नया अंतरराष्ट्रीय वित्तीय आर्किटेक्चर बनाना।
  • वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत् आर्थिक संवृद्धि हासिल करने हेतु सदस्यों के मध्य नीतिगत समन्वय स्थापित करना।
  • वित्तीय विनियमन को बढ़ावा देना जो कि जोखिम को कम करते हैं तथा भावी वित्तीय संकट को रोकते हैं।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाना।
  • वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत विकास के लिए सदस्य देशों के बीच नीति समन्वय बनाए रखना।
  • ऐसे वित्तीय नियमों को बढ़ावा देना, जो जोखिम को कम करते हैं और भविष्य के वित्तीय संकटों को रोकना।
खबरों के मुताबिक 1997 में आए बड़े वित्तीय संकट के पश्चात यह निर्णय लिया गया था कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर एकत्रित होना चाहिए।
जी20 समूह की स्थापना 1999 में सात देशों- अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ्रांस और इटली के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के स्टाफ स्थायी होते हैं और इनके मुख्यालय भी होते हैं, जबकि जी20 का न तो स्थायी स्टाफ होता है और न ही मुख्यालय होता है, यह एक फोरम मात्र है।
वहीं यह एक ऐसा समूह जिसमें 19 देश हैं और 20वां यूरोपीय संघ है। साल में एक बार जी-20 शिखर सम्मेलन होता है, जिसमें राज्यों के सरकार प्रमुखों के साथ उन देशों के केंद्रीय बैंक के गवर्नर भी शामिल होते हैं। सम्मेलन में मुख्य रूप से आर्थिक मामलों पर चर्चा होती है।

अभी चर्चा क्यों –

जापान के ओसाका में 14वां जी-20 शिखर सम्मेलन हो रहा है। 28 और 29 जून के बीच होने वाले शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेने के लिए पहुंच चुके हैं। इस दौरे में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु भारत के शेरपा होंगे। शेरपा जी-20 सदस्य देशों के नेताओं का प्रतिनिधि होता है जो सम्मेलन के एजेंडे के बीच समन्वय बनाता है।

क्यों पड़ी इसकी जरूरत-

जी-20 को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के समूह जी-7 के विस्तार के रूप में देखा जाता है। जी-7 में फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा हैं। 1998 में इस समूह में रूस में भी जुड़ गया और यह जी-7 से जी-8 बन गया। यूक्रेन के क्रीमिया इलाके को अपने साथ मिलाने के कारण रूस को 2014 में इस समूह से अलग कर दिया गया और एक बार फिर से जी-7 बन गया।

जी-20 का गठन जी-7 देशों ने किया –

दरअसल 1999 में जर्मनी के कोलोन में जी-8 देशों की बैठक हुई, इसमें एशिया के आर्थिक संकट पर चर्चा हुई। इसके बाद दुनिया के बीस शक्तिशाली अर्थव्यवस्था वाले देशों को एक मंच पर लाने का फैसला किया गया। दिसंबर 1999 में बर्लिन में पहली बार जी-20 समूह के लिए बैठक हुई। आगे चलकर जी-8 को राजनीतिक और जी-20 को आर्थिक मंच के रूप में पहचान दी गई।

LIVE TV