जल्दबाजी में पास हो रहे बिल पर राज्यसभा में सभापति नायडू करेंगे ये व्यवस्था !

मोदी सरकार जिस तरह से जल्दबाजी में और तेज़ी से बिल पास करवाती जा रही है | शायद मोदी सरकार ये नहीं समझ पा रही है कि इसके कई नुकसान भी हो सकते हैं | जिससे विपक्ष में काफी नाराज़गी बनी हुई है |

पास हुए ज़्यादातर बिल पर विरोध जारी है और बिना सहमती के पास करवाना विरोधी पार्टियों को बिलकुल भी रास नहीं आ रहा है | इसी के चलते नायडू ने बड़ा फैसला लिया है |

देखा जाए लोकसभा और राज्यसभा में मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में अब तक 15 अहम बिल पास कराने में सफल रही | राज्यसभा में बहुमत में न होने के बावजूद सरकार विरोध के बीच RTI संशोधन जैसा विधेयक भी पास करा चुकी है |

विरोधी पार्टियों का कहना है कि सरकार जल्दबाजी में कानून बनाने में जुटी है | जिस पर राज्यसभा में सभापति वेंकैया नायडू ने यह मामला उठने पर सभी को आश्वासन दे दिया है कि वह राज्यसभा में ऐसा नहीं होने देंगे | और देखा जाए अब तक उन्होंने ऐसा होने भी नहीं दिया है अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान |

वेंकैया नायडू की ओर से यह पहल तब हुई है, जब 15 राजनीतिक दलों की ओर से यह आरोप लगाया गया कि इस सत्र में उनकी आवाज को दबाया जा रहा है | विधेयकों के प्रावधानों को लेकर उठाए गए सवालों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है |

 

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राजनीतिक दलों ने शिकायत की थी कि सदन विधेयकों पर छोटी अवधि के लिए भी चर्चा नहीं कर रहा है | स्क्रूटनी के लिए सेलेक्ट कमेटियों को न भेजकर विधेयकों को जल्दबाजी में पास कराया जा रहा है |

अपने बयान में सभापति ने कहा कि उन्होंने अपने दो वर्षों के कार्यकाल में ऐसा नहीं होने दिया | ख्याल रखा कि सांसदों के अधिकारों और विशेषाधिकारों का हनन न हो |

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जब  सोमवार को उच्च सदन में कार्यवाही शुरू हुई उसके तुरंत बाद ही नायडू ने 15 राजनीतिक दलों की तरफ से लिखे गए पत्र पर एक बयान दिया |

नायडू ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछली सरकार के आखिरी सेशन में 10 बिल उच्चसदन में पेश हुए | जिसमें से आठ को उन्होंने संबंधित स्टैंडिंग कमेटी को भेजा दिया था | यह रिकॉर्ड बताता है कि विपक्ष के आरोपों में दम नहीं है कि राज्यसभा में भी जल्दबाजी में कानून पास हो रहे हैं |

नायडू ने हालांकि एक संहिता की जरूरत बताई, जो तय कर सके कि कौन से बिल संसदीय कमेटियों को स्क्रूटनी के लिए भेजे जाने चाहिए |

उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि अध्यक्ष के रूप में वह सदस्यों के अधिकारों और विशेषाधिकारों को कमजोर नहीं होने देंगे |

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