
वो कमीने लोग जो दूसरो की गुप्त खामियों को उजागर करते हुए फिरते हैं, उसी तरह नष्ट हो जाते हैं जिस तरह कोई सांप चीटियों के टीलों में जा कर मर जाता है.


वो कमीने लोग जो दूसरो की गुप्त खामियों को उजागर करते हुए फिरते हैं, उसी तरह नष्ट हो जाते हैं जिस तरह कोई सांप चीटियों के टीलों में जा कर मर जाता है.

 
 
 
